सूतल रहली सपन एक देखली मनभावन हो सखिया फूटलि किरिनिया पुरुष असमनवा उजर घर आँगन हो सखिया
अँखिया के नीरवा भइल खेत सोनवा त खेत भइलें आपन हो सखिया गोसयाँ के लठिया मुरड्या अस तूरली भगवलीं महाजन हो सखिया
केहू नाहीं ऊँचा-नीचा केहू के ना भय नाहि केहू वा भयावन हो सखिया मेहनति माटो चारों ओर चमकवलीं ढहल इनरासन हो संखिया
बइरी पइसवा के रजवा मेटवलीं मिलल मोर साजन हो सखिया
२
मैना
एक दिन राजा मरलें आसमान में ऊड़त मैना बान्हि के घरे ले अइलें मैना ना
एकरे पिछले जनम के करम कइलों हम सिकार के धरम राजा कहैं कुँवर से अब तू लेके खेल मैना देख कतना सुन्दर मैना ना
खेले लगले राजकुमार उनके मन में बसल सिकार पहिले पख कर्तार के कहले अब तू उड़ि जा मैना मेहनत के के उड़ि जा मैना ना
पाँखि बिना के उड़े पाय कुँअर के मन में गुस्सा छाय तब फिर टाँग तोड़ि के कहलें अब तू नाचऽ मैना ठुमक ठुमकि के नाच मैना ना
पाँव बिना के नाचे पाय कुँअर गइलें अब बउराय तब फिर गला दबा के कहले अब तूं गावऽ मैना प्रेम से मीठा गावs मैना ना
मरिके कइसे गावे पाय कुँवर राजा के बुलवाय कहले बड़ा दुष्ट वा एको बाति न माने मैना सारा खेल बिगाड़े मैना ना
जबले खून पिअल ना जाय तबले कवनो काम न आय राजा कहें कि सीख कइसे चूसल जाई मैना कइसे स्वाद बढ़ाई मैना ना
३
जागरण
बीतता अन्हरिया के जमनवा हो संघतिया सबके जगा द
गँउवा जगा द आ सहरवा जगा द छतिया में भरल अँगरवा जगा द जइसे जरे पाप के खनवा हो संघतिया सबके जगा द
तनवा जगा द आपन मनवा जगा द अपने जंगरवा के धनवा जगा द ठग देखि माँगे जगरनवा हो संघतिया सबके जगा द
नेहिया के बन्हल परवा जगा द अँसुआ में डुबल सपनवा जगा द मुकुती के मिलल बा बयनवा हो संघतिया सबके जगा द
हथवा जगा द हथियरवा जगा द करम जगा द आ बिचरवा जगा द रोसनी से रचs जहनवा हो संघतिया सबके जगा द
बीतता अन्हरिया के जमनवा हो संघतिया सबके जगा द