बहुत साल पहिले एगो किताब पढ़ले रहलीं राहुल सांकृत्यायन जी के 'घुमक्कड़ शास्त्र' जवना में ऊ लिखले रहलन कि अगर हमार बस चलित त हम सबका घुमक्कड़ बना देतीं। 'अथातो घुमक्कड़ जिज्ञासा' से शुरू क के ऊ बतवले रहलन कि घुमक्कड़ी कइसे अदिमी के दिमाग के बन्द दरवाजा खोल देला आ आदिमी के कमी पूरा कर देला तबे से घुमक्कड़ों का ब्यौरा पढ़े सुने में हमार ढेर मन लागत रहे आ एही क्रम में अज्ञेय जी के 'अरे यायावर रहेगा याद आ 'एक बूँद सहसा उछली' जइसन कड़गो देशी-विदेशी यात्रा विवरण पढ़े के मिलल देश में घूमे क आनन्द त अलगे वा ओकर ठीक लेखा-जोखा करे खातिर फिर कब्बो देखल जाई, एह समय त सैन्कियन के देशे क बात होखो ।
सन् १९७० में जब से विश्वविद्यालय में पढ़ावल शुरू कइली तब्बे से जे मिले ऊ एक्केगो सवाल पूछे कि "विश्वविद्यालय में पढ़ा रहल हई तब त विदेश कई बार गइले होखब" आ ओके जब हम ई कहीं कि "ना भाई, हमरा त इहे देश ढेर नोक लगेला आ विदेश में का कौनो होरा मोती जड़ल बा कि उहाँ ना गइला प हम कुछ अधूरा रह गइल हुई" त ई सुनि के लोग अइसन उपेक्षा भाव से ताकत रहे। कि हमरी लागे लगल कि ए भयवा, एक बार चलि आवल जाय विदेश से नाहीं त सब लोग इहे समझत रहिहें कि कमी कहीं हमरहीं अन्दर हवे हम ठहरली ठेठ बनारसी। तीन लोक से न्यारी काशी में रहे वाला। इहाँ त सब कुछ ठेंगा पर रखे के परम्परे है। चना चवेना गंगजल जो पुरवे करतार, काशी कबहूँ न छाड़िए विश्वनाथ 'दरबार' एह कहाउति प पूरा अमल करे वाला हम, आखिर में लोगन के सवाल भरल निगाह के सामने आपन माथा झुका देहली आ जब मौका मिलल जाए के त पाँचगों सवारन में हमहूँ सामिल होइए गइली ।
अमेरिका के संस्था यूनाइटेड स्टेट्स एजुकेशनल फाउण्डेशन इन इण्डिया (यूसेफी) का और से फुलब्राइट ग्राण्ट आ वाशिंगटन डी सी के कैथोलिक यूनिवर्सिटी आफ अमेरिका के प्रोफेसर परशुरामन के ओर से रहे सहे के जुगाड़ हो गइला पर बोरिया-बिस्तर बाँधि के चल देहलीं अमेरिका उड़ल शुरू भइला के बाद घण्टन उड़ते रहला के बाद कहल गइल कि अब हमलोग जर्मनी के फ्रांकफुर्ट हवाई अड्डा पर उत्तरब आ पाँच घण्टा बाद दूसरा जहाज से वाशिंगटन जाए के पड़ी जीन झोला झण्टा संगे रहल उहे ले के हवाई अड्डा पर उतर पड़लीं एगो निछद्दम जगह तलाश के हम सन्ध्या करे लगल बगल से गुजरे वाला हर अदिमी अजीबे निगाह से एक छिन देखे आ चलि जाए। पूजा-पाठ खतम कइला का बाद हवाई अड्डा का डयूटी फ्री दुकान पर रखल सामान सुलुफ देखव शुरू कइली । बाप रे, सभे सामान कई हजार मार्क (जर्मनी के मुद्रा) क रहे बुझाइल कि एहिजा क गिनती हजारे से शुरू होला शायद खुवे बड़हन हवाई अड्डा है फ्रांकफुर्ट क सैकड़न जहाज खड़ा करे लायक जगह वाटे ओहिजा भीड़-भाड़ भरल उ हवाई अड्डा में हमें हर अदिमी एगो टापू मतिन लागत रहे। न त कोई के संगे कोई रहे न कोई बतियावत रहे खाली सभ लोग एक दूसरा के देखि के नजर घुमा लेत रहे। ई हमार पहिला परिचय रहे भारत के बाहर के घूम-घाम के आके इन्तजार करे लगलों वाशिंगटन के उड़ान के जइसे दिल्ली से चले के समय भइल रहे ऊ पूरा 1 रस्म फिर पूरा भइल। चलs राम राम के के जहाज चलल आ कुछे घंटा में वाशिंगटन डी०सी० के डलास हवाई अड्डा आ गइल।
वाशिंगटन डी०सी० याने अमेरिका के राजधानी ई कौनो राज्य में ना पड़ेला दूंगो राज्यन वर्जिनिया आ मैरीलैण्ड से कुछ जगहा लेके एगो जिला बना दहल गइल बा, जेकर नाम हवे 'वाशिंगटन डिस्ट्रिक्ट आफ कोलम्बिया' एही के वाशिंगटन डी०सी० कहल जाला। ई हवे पूरवी छोर प जबकि वाशिंगटन के नाम पर एगो राज्ये ह पश्चिमी छोर प हवाई अड्डा पर हमार एगो पुरान छात्र इन्द्रमणि अपने एगो दोस्त ब्रायन का साथे गाड़ी ले के हाजिर रहलन। सामान लादि के चलली ओह मकान का ओर जौना में हमरा रहे के रहे, लगभग तीन महीना रस्ता में इन्द्रमणि बतावत चलत रहलन कि ई का ह, ऊ का है, सब सुनात रहे मगर दिमाग में इहे चलत रहे कि केतना समृद्ध देश वा अमेरिका ! पूरे दुनिया प शासन क रहल बा दादागिरी देखा रहल बा सभे के झुका रहल बा । इहे उधेड़बुन चलत रहल दिमाग में कि एकर कौन कारण था जब तक उहाँ रहलीं तब तक इहे सवाल उमड़-घुमड़ के आवत रहे दिमाग में प्रोफेसर खुद ना आ पवले रहलन, कहववले रहलन इन्द्रमणि से कि अगिला दिन मुलाकाति होई, विभाग में 1
रास्ता में ब्रायन देखउलन वाशिंगटन मेमोरियल के आ कहलन कि ई एगो स्मारक है। हल्के भूअर संगमरमर के बनल मोनारनुमा खूबे ऊँच खम्भा मतिन एगो स्मारक दिखाई देलस दूर से ओकर ऊ रूप ना बुझात रहे जवन नजदीक गइला पर लागल। वाशिंगटन रहलन अमेरिका के पहिलका राष्ट्रपति, जेकरे अगुवाई में अमेरिका आपन स्वतंत्रता पवले रहल १७८९ से १७९७ तक ऊ राष्ट्रपति रहलन आ ओनके सम्मान में डालर पर ओनकर चित्र रहेला 'वाशिंगटन मानुमेण्ट' नाम के ई स्मारक ५५५ फुट ऊँचा है एह स्मारक के डिजाइन रावर्ट मिल्स नाम वाला एगो इन्जीनियर बनवले रहलन आ एकर शिलान्यास भइल रहल १८४८ में छत्तीस साल एकरे बनावे में लागल आ ई तैयार भइल सन् १८८४ में एकरे भितरे भीतर एगो लिफ्ट लागल ह जवना प चढ़ि के ऊपर ले जाइल जा सकेला ।
ब्रायन जवने आदर भरल अन्दाज में एह स्मारक के इयाद दियवलन ओसे हमें तुरन्ते बुझा गइल कि सारे अमेरिकी लोग एके खूब सम्मान देलन। बाद में जब एह स्मारक के नजदीक से देखे आ चढ़े के मौका मिलल त एकर मजबूती रख- रखाव आ सभ के भीतर मौजूद सम्मान देखके हमरे अन्दर सहज ईर्ष्या भइल कि का हम लोग अपने राष्ट्रपिता के एकरे पासंगो बरावर ना रख सकला ! कब्बो कोनो नेता महात्मा गाँधी के अधिनायकवादी कह देला, त कोई मनुवादी बनिया, आ कोई त ओकर मूर्ति आ स्मारके के तूरि डाले चाहेला । सब लोग जब राष्ट्रपिता के सम्माने तूर डाले के कोसिस करे में बाहबाही बूझे लागी त सम्मान कइसे उपजी भला? ईहाँ आ के हमके पहिलहीं दिन से बुझाए लागल कि देश- प्रेम केकरा के कहल जाला। आम अमेरिकी बाहर से आइल लोग हवें । केहू जर्मनी से आइल बा त केहू इंग्लैण्ड से, केहू चीन से आइल बा त केहू पिलीपीन्स से, बाकिर सब लोग एह देश के आपन पितृभूमि मानेला अलग-अलग संस्कृति वाले लोगन क देश ह अमेरिका इहाँ आदमी के सम्मान कइले के पाठ पढ़ावल जाला हर आदमी के एगो स्वतन्त्र सत्ता ह आ ओकर आदर होखहों के चाही, ई विशेष बात इहाँ के हर अदिमी मानेला ।
वाशिंगटन के डलास हवाई अड्डा पर उतरते ई बात हमरा समझ में आ गइल। इमिग्रेशन काउण्टर पर आपन वीजा देखावल जरूरी रहे। सभ लोग कतार में खड़ा हो गइल। हर अदिमी लगभग एक दूसरा से दू अढ़ाई फीट दूरी बनवले खड़ा रहलन। हमके त अपने इहाँ के धक्का- -मुक्की क आ चमड़ी छिला जाए अइसन लाइने के अनुभव रहे। एक बेर चहलीं कि धकिया के सभलोगन के आगे चल जाई बाकिर सभे जवन करे उहे करब ठीक होई, ई खियाल के के खड़ा रह गइलीं। इहें लगभग सवा छ फोट वाला एगो पुलिस के अधिकारी रहे। खूबे सुन्दर सुदर्शन नौजवान, लम्बा लाइन देख के ऊ हमहन से कहलेस कि आधा लाइन दूसरा काउण्टर पर लगा दीहल जाव पट से पाला बदल के हम दूसरा लाइन में चलि गइलीं। दू तीन जने के बाद हमार नम्बर आइल। काउण्टर पर बइठल महिला पुछली कि केतना दिन रहे के बा एहिजा हम बतवलीं कि लगभग तीन महीना खातिर आइल हई आ कैथोलिक यूनिवर्सिटी आफ अमेरिका में रहे के बा ई सुनतहीं उ महिला कहली कि का कैथोलिक हई आप हम कहलीं ना बाबा हमार हिन्दू धर्मे नोक बा न त कैथोलिक हई न होवे के इरादे बा। इमिग्रेशन अधिकारी ई सुनिके तुरन्ते ठप्पा लगा के हमार पासपोर्ट थमा देहलीं । पासपोर्ट सब समय अपने पास विदेश में रखब जरूरी रहेला कब्बे कोई एके माँग सकेला| बाद में जब विश्वविद्यालय से हमार परिचयपत्र बन गइल तब त ओहो से काम चल जात रहे।
डलास हवाई अड्डा से लगभग एक घण्टा लागल होई रसेल एवेन्यू वाले अपने फ्लैट पहुँचे में, जहाँ इन्द्रमणि के साथे हमके रहे के रहे। वाशिंगटन डी सी के सीमा के लगभग आधा किलोमीटर बाद मैरीलैण्ड में ऊ रसेल एवेन्यू रहे। पहिला दिन लगभग साढ़े छह बजे हम पहुँचल ओ मकान में पहुँचते ही ओह मकान के मालिक रेमण्ड मिशेल कह उठले आप इहाँ आवत हई हमार पत्नी थेल्मा आजे जाए वाला हुई। प्रकृति में आना आ जाना संगे संगे होला नू । एगो आइल त दोसरका गइल। हम मनेमन कह उठलीं कि दर्शनहीन जिन्दगी त होई नाहीं सकेला इ रेमण्ड मिशलो के सूत्र कहे लगलन थेल्मा फिलिपीन्स क रहेवाली रहलीं जब कि रेमण्ड फ्रान्सिसी मूल क रहलन। दूनो जने अब अमेरिकी नागरिक हो गइल रहलन। रेमण्ड द्वितीय विश्व युद्ध के बाद अमेरिका में बस गइलन जबकि थेल्मा बाद में पढ़े खातिर आइल रहली आ लौट के गइबे ना कइली । अइसने लोगन के बहुत बड़ी संख्या अमेरिका में ह आ एके कवनो खराबो ना मानल जाला एह देश में।
सामान सुलुफ रख के सुस्ताए के बाद इन्द्रमणि के सँगे मकान से बाहर निकलली अमेरिका में ऊ हमार पहिलकी साँझ रहे सुनसान सड़क प पैदल चलल जात रहलीं हम दूनो जने इन्द्रमणि खूब प्रसन्न रहलें, बाति बाति में सब बतावत चलत रहलें। हम आधा सुनत रहलीं आधा ना सुनत रहलीं थोड़िके देरी बाद कह उठली कि अरे घरे खबर कर देवे के चाहीं, अम्मा बाबू के बता वे के चाहों कि राजी खुशी हम इहाँ पहुँच गइल हईं। इन्द्रमणि कहलें कि ठीक बा, चलीं पिजा के दुकान से पिजा खरीद के ले आइल जाव खाए खातिर, काहे से कि आज खाना बनावल त सम्भव नाहि हो पाई। हम तब तक पिजा से परहेज करत रहलीं। हमें बुझात रहे कि एम्मे जरूरे मांस रहत होई। आपन शंका हम इन्द्रमणि के जनवलीं। सुनि के उ कहलें कि ना सर, ए पिजा में खाली मक्खन आ भाजी रहेला कहले पर ऊ कुल मांस वगैरह डालेलन भगवान भरोसे चललों पिजा लेवे खातिर पिजा इटालियन किस्म क मोटी रोटी होला एके पावरोटी मतिन बेक क के तैयार कइल जाला। ओकरे बाद छोट-छोट टुकड़ा क के मक्खन का साथ फिनो पकावल जाला । उहे पिजा ले आइल गइल ओह राति खातिर साधे-साधे दूध, कार्न फ्लेक्स, ब्रेड इहो कुल्हि सामान खरीदल गइल। लवटि के घरे फोन कइलीं कि हम सकुसल पहुँच गइल हुई। थोड़िके देर में हम विश्राम करे चलि गइलीं । |
अगिला दिन १७ मई के सबेरे स्नान-ध्यानादि से खाली होवे के तुरन्ते बाद रेमण्ड कहे लगलन कि ए प्रोफेसर साहिब, सबेरे जवन धूपबत्ती जलवले रहलीं ओसे हमें बड़ा तकलीफ भइल। एकर कौनो उपाय सोचीं। हम कहलों एम्मे कवन तकलीफ वा, काल्हि से हम बाहिर लान में सन्ध्या करव। रेमण्ड बड़ा खुशमिजाज सरल आदिमी हवें लगभग रोज जुआखाना में जालन थेल्मा केतनो नाराज होएँ त का भइल, कैसिनो जाब ओनकर नाहिए छूटल। एक बेर त ऊ हमहूँ के ले गइलन कैसिनो में आ ओह अनुभव के विवरण तनिक देर बाद में बताइब नाश्ता करे. इटली। ठण्डा दूध में कार्नफ्लेक्स खाए के रहे। अमेरिका के आदिमी दूध ठण्डे खाला दूध आ दही डिपार्टमेण्टल स्टोर में मिलेला दूध कई किसिम का एक प्रतिशत चर्बीवाला, दृ प्रतिशत वाला, अढ़ाई वाला, बिना चर्बीवाला, पूरा चर्बीवाला। अइसहीं दहियो कई किसिम के डिपार्टमेण्टल स्टोर कई मंजिला हो सकेला खूब लम्बी चौड़ी। पूरी तरह से एयर कण्डीशण्ड सामान लेवे खातिर एगो हाथ गाड़ी लेके चले के पड़ेला खुद सामान छाँट के गाड़ी में रखे के होला आ ले आके काउण्टर पर दिखाके दाम देहल जाला। दूध गरम करे क इहाँ रिवाजे ना ह । ठीक बा ठण्डा दूध क सवाद देखल जाय। नीके लागल ठण्डा दूध आ कार्नफ्लेक्स।
साढ़े आठ कि नौ बजे तक डिपमेण्ट पहुँच गइलों हम लोग प्रोफेसर से भेंट भइल। भारतीय मूल के हवन राजा परशुरामन ओनकर पिताजी लगभग पैंतालीस साल पहिले वाशिंगटन के भारतीय दूतावास में उच्च अधिकारी रहलन। तमिलनाडु क मूलनिवासी राजा परशुरामन सीनियर कैम्ब्रिज इतने अच्छा नम्बर से पास भइलन कि इग्लैण्ड के रायल इन्जीनियरिंग कालेज में दाखिला आ स्कॉलरशिप मिलल । इन्जीनियरिंग पूरा के के मनोविज्ञान में उ एम०ए० आ पी-एच०डी० कइलें आ बाद में अमेरिका चलि अइलें जहाँ पिछले लगभग सात आठ साल से प्रोफेसर हवें । भारतीयता के बारे में पूर्ण आस्थावान् प्रोफेसर के देखि के बहुते नीक लागल। विभाग एगो अलगे भवन में ह लगभग १०० साल पहले स्थापित ई विभाग अपने में बड़हन इतिहास समेटले वा कैथोलिक विश्वविद्यालय के भीतर एगो खूबे बड़ चर्च वा जवना में मरियम आ यीशू के मूर्ति बा। चर्च के नीचे रेस्त्राँ चलेला जवना में विश्वविद्यालय के छात्र काम करेलें। सभे काम करे लगे इ सम्भव ना ह जब तक कम से कम तीन साल रहे के वीजा ना होई आ दू साल रहल बीत ना गइल होखो काम करे के अनुमति ना मिलेला ।
विभाग के भवन का बाहरी दीवाल पत्थर के ह बाकिर भितरी रचना, फर्श आ बाकी सब कुछ लकड़ी के ह सगरे अमेरिका में बाहरी रचना ईटा सीमेण्ट से होला बाकिर भीतर से कुल्हि लकड़ी के पटरा, प्लाइवुड से बनल रहेला। वातानुकूलित होवे खातिर इ जरूरी है ना त केतना सर्दी आ गर्मी सीमेण्ट क दीवाल सोख लेई कहव मुश्किल वा । इहाँ के सब अजूबे लागत रहे हमके । सांचलहूँ ना रहीं कव्वों कि अन्दर से सब मकान लकड़ी क बनल होइहें। दरवाजा अइसन कि नगीचे पहुँचला पर खुल जा सिमसिम बोलला के पहिलहीं खुल जात रहे आ भीतर घुसतहों सटाक से बन्द हो जात रहे विभाग में जबले इच्छा होखे रहल जा सकेला। लाइब्रेरी खुलल वा विभाग के कुल आलमारी खुलले रहेला । जवना किताब क जरूरत होखे निकाल लों, जबले इच्छा होखे पढ़ी जरूरत होखे त घरहूँ ले जा सकेलीं सब कुछ आपसी विश्वास पर चलेला इहँवा । लिखत- पढ़त से ढेर महत्वपूर्ण ह टेलिफोन से बात कइल बातिके इज्जत सभे राखेला । विभाग में अइसन ताला लागल रहेला कि बाहिर से बन्द रही बाकिर केहू भीतर से बहरे जाए चाहे त जा सकेला|
अमेरिका त बड़ शक्तिवाला देश ह पूरा क्षेत्रफल भारत से तीन गुना ज्यादा ह अमेरिका के आ जनसंख्या भारत के एक चौथाई भारत से बारह गुना त अइसही बढ़ल ह अमेरिका एह देश में पाँच गो टाइम जोन है। वाशिंगटन डी सी में जब सात बजल रहेला तब कैलिफोर्निया में रात के तीन बजे के समय रहेला एतने बड़े देश के जेकर विस्तार पूरब से पश्चिम ले ह, एगो टाइम जोन रहला पर मुश्किल पड़त एही से पाँच गो टाइम चलेला विभाग में सभे शान्ति से हवें। इहाँ मतिन हड़बड़ो आहउरा ना मचल रहेला। विभाग के कुल्हि काम काज दू गो सेक्रेटरिए के जिमे हैं। अध्यक्ष त इहे कहले कहाँ दस्तखत करेके बा बतावs अध्यक्ष बनला खातिर केहू तैयार ना होला। परशुरामन से कई बेर कहल गइल अध्यक्ष होखे खातिर, ऊ हर बार इन्कार कर देलन। ज्यादातर विभाग में लेक्चरर भा कवनो जूनियर अदिमो अध्यक्ष हो जालें काहेंसे कि अध्यक्ष के कामकाज नान एकेडेमिक मानल जाल आ केहुओ ओ खातिर तैयार ना रहेला। विभाग में हमनी नौ बजे पहुँचल रहीं, तबसे कब साँझ क साढ़े आठ बज गइल पते ना चलल वाशिगटन में दिन लगभग साढ़े पन्द्रह घण्टा क होला । सबेरे साढ़े पाँच बजे के लगभग जब विभाग से लवटों तब सांझ पसर गइल रहत रहल। हमेशा ई डर लागत रहे कि कौनो पीछे से आके पिस्तौल न लगा दे कि निकालs जवन कुछु जेबा में धइले हउअ भारत से चले के पहिलही यूसेफी के ओर से ई हिदायत मिलल रहे कि पैदल चलती बेर ई जरूर ध्यान रखन कि केहू पीछा त नाहीं करत हवे। अगर ई पता चले कि केहू पिछियावत वा त बगल के डिपार्टमेण्टल स्टोर में घुस जाई। कुछ देर ले इन्तजार कइला के बाद फेन आगे बढ़ीं। आ अगर खुदा ना खास्ते कउनो मिलिए जाए त लड़ाई-झगड़ा जिन करीं ऊ जवन माँगे ओके दे दी आ बाद में पुलिस में रपट लिखा दीं। रोजे बुझात रहे कि अब केहू आके पीछे से गला पकड़ी आ पिस्तौल सटा दी। राम राम करते-करते रोज घरे फिरत रहली हम दूनो जने ।
घरहूँ के हाल कुछ फरक थोड़े रहे। रेमण्ड मिशेल पहुँचतहीं कहें कि ए प्रोफेसर बाबू, खिड़की के ब्लाइण्डर गिरा दीं। जब हम ओसे कहीं कि एतना डरेलऽ काँहे हो ? त ऊ बतावे कि कब कौनो सिरफिरा बहिरे से ताक के गोली दाग दी कहब मुश्किल है। एह खातिर कहत रहली हैं। हम कहली जब हम केहू क कउनो कुछो नुकसान ना करब त केहू काहे गोली मारी ? रेमण्ड कहलन कि खाली मजा लेवे खातिर एह देश में अइसन मजा लेवे वालन क कमी ना ह अन्दर से हम काँप उठलीं बाप रे, खाली मजा लेवे खातिर केहू के जान लेब कइसन पागलपन है। हे भगवान् कइसन बीमार देश ह ई अमेरिका जहाँ के निवासिन के सैन्की कहल जाला। कुछ दिन बाद रेमण्ड के कहल सच हो गइल। जहाँ हमनी रहत रहल ओकरे पासे एगो स्विमिंग पूल में शनिवार के साँझ बेला एगो सत्रह साल के लड़िका स्टेनगन लेहले घुसल आ तड़ातड़ लागल चलावे गोली -सत्रह अठारह लोगन के मार इललेस, जवना में बच्चा, बूढ़, जवान, औरत, मर्द सब रहलन। वजह खाली मरते आदमी के छटपटाहट देखे क खुशी, बहुते खून देखे क खुशी आ पैशाचिक आनन्द ।
भारत से चले के पहिलहों पढ़ले रहलीं कि वाशिंगटन डी सी न्यूयार्क आ शिकागों के अपराध के दर सगरी अमेरिका से बढ़ल है। न्यूयार्क में डाट बस्टर गैंग के बारे में त पहिलहीं पढ़ले रहलीं । केहू के माथे पर टीका बिन्दी देखि के ओह गैंग के लोग ओकर परान ले लेत रहे, चाहे अंग-भंग के देत रहे। असहीं कई गो अठरी गैंग बा इहेंवा बिना कारन केहू के जान हते के इच्छा त बीमार मानसिकते से न उपजेला ई सोचलों कि पागलपन क बस्ती में जब आ गइल हुई त समझ-बूझ के रहहीं के पड़ी। याद आइल जब नोबेल पुस्कार पवला के बाद मदर टेरेसा अमेरिका गइल रहलो त कहले रहलीं कि ई देश बड़ा गरीब देश ह काँह से कि एहिजा प्यार क कमी बहुत बा। ई अमेरिका देश बीमारी से जूझ रहल वा, प्यार के कमी के बीमारी से, इहँवा आवे के पहिले मदर टेरेसा के बाति क असली अरथ ना बुझाइल रहे। अइला के बाद सब धीरे-धीरे सच लागे लागल । इहाँ केवल उपयोगितावाद चल रहल बा। जब तक आप क उपयोगिता है तब तक कौनो मूल्य ह । उपयोगिता खतम त संबन्धो खतम पूरी तरह बनियागिरी के देश ह अमेरिका, ई बुझावल उहाँ रहले के बाद।
अमेरिका में स्टेट यूनिवर्सिटी आ प्राइवेट यूनिवर्सिटी बाड़ी स्टेट में कम तनख्वाह मिलेला। वाकिर बरहो महीना मिलेला प्राइवेट यूनिवर्सिटी में तनख्वाह क फैसला मोल भाव से होला । इहाँ आठ महीना तनख्वाह मिलेला बाकी चार महीना खातिर अपने प्रोजेक्ट से तनख्वाह लों चाहे कौनो प्राइवेट काम करों। पेट्रोल पम्प पर पेट्रोल भरे के काम होखे चाहे कउनो दूकानि में सेल्स मैन के, कुछो कर सकेली । तनखहवा आठे महीना के मिलेला बाकी चार महीना खातिर कुछ-न-कुछु त करहों के पड़ी नू । प्राइवेट यूनिवर्सिटी के हाल बा कि जवन प्रोफेसर जेतना ढेर प्रोजेक्ट ले आ सकिहें ऊ ओतने ढेर डालर पर सौदा क सकेलें केहू एक लाख डालर सालाना प रखा सकेला त केहू दोसर चालीसे हजार डालर पर रखल जा सकेला प्राइवेट यूनिवर्सिटी के फोसो ढेर रहेला आ जेतना सब प्रसिद्ध विश्वविद्यालय हवें ऊ कुलि प्राइवेटे हवें । वाशिंगटन डी सी वाला कैथोलिक यूनिवर्सिटी प्राइवेट ह आ परशुरामन के पास बहुते प्रोजेक्ट रहेला, एही खातिर ओनकर सम्मानो ढेर वा इहाँ के कुल काम खुदे करे के पड़ेला हर शिक्षक के डाक ओकरे नाम से बनल एगो पिंजरा वाला खाना में रखा जाला। शिक्षक खुदे आके आपन चिट्टी ले जालें एह तरह से चपरासी नाम क जन्तु ई सब जगहा पहले ना जाला एही तरह से विश्वविद्यालय के पत्र वगैरह पोस्ट आफिस के जरिए भेजल जाला।
हमरे पहुँचे के साथ प्रोफेसर एगो नियुक्ति पत्र दे के कहले कि एकेडेमिक डीन के दफ्तर में जाके आपन आइडेण्टिटि कार्ड बनवा लीं। ओकरे बिना बैंक के एकाउण्ट खोलल मुश्किल होइत आ जवन तनख्वाह हमके मिलेवाला वा उही त एकाउण्टे में जाई, ई बुझा के ऊ कहलन कि आजुए चल जाई परिचय पत्र बनवा लो। गइली ओह आफिस में चिट्ठी देतहीं उहाँ बइठल महिला एगो फार्म भरे खातिर देहली। ऊ फार्म भर के हमरे देहला के बादे ऊ कहली कि ओ सीट पर बैठ के फोटो खिचा लों-आ कल आके आपन परिचय पत्र ले जाइब फोटो खिचवावे बैठलों आ एक्के मिनट में कुल हो गइल । इन्द्रामणि कहलन चलीं सर। इहाँ के काम हो गइल, अब चल के कुछ ठण्ढा पोयल जाव कैम्पस में कई कैण्टीन हई, ओही में से एक कैण्टीन में जाके तीस सेण्ट में एक डब्बा कोक लिहल गइल आ लेके फिर पुनस्तत्रैव वैताल: माने फिर बैतलवा डाल पर करत विभाग में वापसी। विभाग के एही भवन में शिक्षा संकायो ह ऊहाँ कवनो कोर्स चलत रहे। शिक्षा विभाग में काफी बनावे के कुलि जुगाड़ रहे। जब इच्छा होखे, जाई, काफी बनाली आ अपने कमरा में ले आई, पोयत रहीं काफी, आ करत रहीं काम। लगभग डेढ़ बजे इन्द्रमणि अइले कहले कि चलीं सर ! लंच के समय हो गइल। एह देश में लंच कइल बहुत जरूरी है। हम कहलीं कि अबहीं त पेट भरले लागत बा त ऊ कहलें कि कुछु हलुके ले लीं न कैण्टीन में जाके देखीं कि सगरे लोग इकट्ठा बाड़न लंच त जरूरी चीज हइए ह। लंच के के लवटलों त प्रोफेसर परशुरामन आ गइलें ओह समय हम कागज रख के पेन से कुछ लिखत रहलीं। देखते उ टोकलन-ई का करत हई ? कम्प्यूटर प लिखीं। एह देश में पेन क इस्तेमाल खाली दस्तखते करे में होखेला। हम पड़ली चक्कर में तब तक हम कम्प्यूटर त छूअले रहने ना कइलीं जानते ना रहलीं कइसे काम करेला कम्प्यूटर । प्रोफेसर कम्प्यूटर आन के के चला दिहलन आ कहलन कि बस अब एही पर लिखापढ़ी शुरू करें। कह के ऊ त चल गइलन हम आँखे लगलों अपने ऊपर । तब ले इन्द्रमणि आ गइलन, उहे बतवलन कम्प्यूटर के मंत्र आ ओहि दिन से लगली हम कम्प्यूटर पर लिखा पढ़ी करे।
तीन चार दिन के बाद इन्द्रमणि के साथे गइलीं पुस्तकालय में पुस्तकालय के भवन बहुते लम्बा-चौड़ा रहल आ ऊहाँ जाके ई बुझाइल कि कवनो पहरे ना ह। अगर केहू किताब चोर ले जाए चाहे त आसानी से ले जा सकेला । इन्द्रमणि कहलन कि इहाँ जवन किताब ईशू होई ओकर ब्योरा कम्प्यूटर में चल जाला आ एगो चुम्बकीय आँख से ओपर लिखा जाला। अगर ऊ न लिखाई त किताब लेके बहरे जातहीं इहाँ के सेन्सरैचि चौ-ची करे लागी आ आदमी पकड़ा जाई । बाकिर एहसे ई त साफे हो गइल कि एहूजा चौर बाड़न स आ ओनहन खातिर इन्तजामो बा। स्टैंक में गइला पर कम्प्यूटर दिखाई पड़ल मालूम ई भइल कि वाशिंगटन के कुल पुस्तकालय से जुड़ल एह कम्प्यूटर से तुरन्ते पता चल जाला कि कवन किताब कौने पुस्तकालय में कौने आलमारी के कौना खाना में रखल हैं। इहो कि किताब ईशू त नाहीं बाटे। एतना सुविधा जब कौनो लइका के मिली त ओकर मेहनत त कई गुना घटिए जाइ नू! बनारस में त बी०एच०यू० के पुस्तकालय में किताब खोजते खोजत बुढ़ा जाला लड़िका लोग इहे त पता चलेला कि कितबिया ईशू भइल बा कि स्टैंक में बा हेराइल बा कि सुरक्षित वा इहो पता ना चलेला । अब बुझाइल कि अमेरिकी पैंकी लोग फटाफट ताजातरीन लेख क जिकिर कहाँ से करेलन। अगर ई सुविधा इहाँ मिलत त का हमहन के दिमाग कम तेज ह! हम लोग यँकी लोगन के अब तक जमीन सुंघा देहले रहतीं। इहे कुल बात दिमाग में घुमड़त रहे जब तक हम ऊ पुस्तकालय में घूमत रहली किताब इन्द्रमणि के कार्ड
पर इशू करा के लौट अइली विभाग में। एक दिन के बाद विश्वविद्यालय में स्थित बैंक सिग्नेट बैंक में एकाउण्ट खोले खाती गडली छोट-सा बैंक तीन चार गो काउण्टर काउण्टर पर जाए के कौनो जरूरते ना रहेला, काहे से कि अमेरिका में पूरा साल के तीन सौ पैंसठो दिन बैंक के काम हो सकेला एटीएम द्वारा सिग्नेट बैंक के पैसठ हजार शाखा सगरी दुनिया में बाड़ी। भारती में है बम्बई, दिल्ली, कलकत्ता आ मद्रास में एटीएम माने आटो ट्रान्सक्टिंग मशीन ई मशीन सड़क के बीचो बीच लगल बाड़ी। गाड़ी में बैटले बैटल आपन कार्ड निकाल के पइसा लिहल जा सकेला। कहीं जरूरत होखे त आपन एटीएम कार्ड निकाल के पैसा ले लीं, जमा क दी-सातो दिन चौबीसो घण्टा कब्बो कर सकेली। हमार नाम पता भरे खातिर बैंक के मैनेजर साहिबा क्रिस्टोफर लिण्डा हम के फार्म दे दीहली भर के देले के तुरन्ते बाद आइडेण्टिटी कार्ड मगली कार्ड ले के बगल के कमरा में जा के ऊ जेराक्स क लेहली आ हमसे पुछली केतना डालर से खोले के वा खाता हम पचास डालर के नोट बढ़ा दिहलीं। जमा हो गइल। अगिला दिन बोलवली कि आके आपन खातासंख्या आ एटीएम कार्ड ले जाइव सब काम आधा घण्टा में खतम हो गइल। अगिला दिन जाके हम कार्ड आ खाता संख्या ले अइली ले आवे के समय उ बतवली कि एटीएम कार्ड के इस्तेमाल करे खातिर एगो गुप्त संख्या सोच लीं आ एह कालम में लिख दो कम्प्यूटर में ऊ संख्या डला जाई तब त कम्प्यूटर काम कर सकी। हमार कोड नम्बर केवल कम्प्यूटर आ हम दू जने जानत रहत एह तरह से खाता खोल लिहली आ एटीएम कार्ड चला के ओकर परीक्षा के लिहलों । इ एगो बड़हन सुविधा है। देश विदेश जाँवा जाई एटीएम कार्ड रखले रहीं रुपया पैसा संगे रखे के जरुरते ना ह तब पता चलल कि जवने बैंकी के पास जेतना कार्ड क्रेडिट कार्ड, ट्वैलर्स कार्ड रहेला ऊ ओतने समृद्ध मानल जाला।
जवने चीज खातिर इह देश में आदमी जिनिगी भर मेहनत के के पाई-पाई जोड़ेला - कार, बँगला, फ्रिज, वाशिंग मशीन वगैरह ऊ कुल्हि अमेरिकी आदमी खातिर एक महीना के कमाई में मिल सकेला किस्त पर आ किस्तो कइसन, कार ले जाई छह महीना चला लीं सन्तुष्ट हो गइला पर छह महीना बाद से किस्त शुरू होई। आ एतना प्रतिस्पर्धा वा अमेरिकी कम्पनी के बीच कि आज एगो स्कीम आई त कल ओहू से सुन्दर दूसर आ जाई। परसो आधे दाम पर मिले लागी। सामान बेचे के कला में अमेरिकी व्यापारी क कौनो बराबरी होइए ना सकेला वाशिंगटन पोस्ट अखबार रोज लगभग १०० पृष्ठ क होला। आधा से ज्यादा विज्ञापन से भरल काँने दूकाने में केतना डिस्काउण्ट दियाता एकर बड़हन विज्ञापन हर पेज पर भरल रहेला। सारा दिन अगर दुकाने दुकाने दउड़ल जाय तब्बो पूरा ना पड़ी। दूकान कई मन्जिली होली, पूरा क्षेत्रफल जोड़ दिहि त एकाध मील के क्षेत्र में फइलल दूकान सब बाड़ीं आ मकान बनावे के पूरा समान बेचे वाली दूकानो बाटी हेल्जिगर नाम के एगो दूकान में दरवाजा, खिड़की, किचेन, ड्राइंगरूम सब बनल बनावल हवे। कियन के कुल काम एक स्टैण्डर्ड किसिम क होला। दरवाजा एके साइज क होई खिड़की, किचेन सब एक नाप के होई। ओसे छोट-बड़ कइला पर मकान क कीमत घट जाइ। न त खरीदे वाला मिलिहें न सामाने मिली एह तरह से सब जिनिस के मुकम्मल जुगाड़ करेलन एह देशवासी बैंकी लोग।
वाशिंगटन में मेट्रो रेल चलेले एक डालर से तीन डालर तक के टिकट रहेला टिकट ले के अन्दर जाए के होखे त टिकट दरवाजा पर बनल एगो खाना में डाले के पड़ी। सटाक से उ टिकट आगे खिसक जाई आ दरवाजा के डड़हरा खुल जाईं, अन्दर चल जाई लवटे खातिर फिर ओही तरह से करे के होला। यूनिवर्सिटी के पासे मेट्रो स्टेशन ह। उहाँ इन्तजार करते समय निगाह पड़ल एगो विज्ञापन प एगो लेस्बियन कम्यूनिटी के विज्ञापन रहे। याने समलैंगिक लोगन क समुदाय। बाद में पता चलल कि 'वाशिगटन ब्लेड नाम से एगो अखबार समलैंगिक समाचार सहित त निकलबे करेला किताबन के दूकान पर समलैंगिक साहित्य के कितावन के एगो अलग विभागो रहेला पुरूष समलिगी लोगन के अलग आ स्त्री समलिगी के अलगे। दूकान में जा के देखलों सचित्र उपन्यास आ कहानी, कविता बुझाइल कि एलन गिन्सबर्ग जब बनारस आइल रहलन आ दसाश्वमेध पर भेटाइल रहलन एगो लड़का के साथ आ पुछला पर कहले रहलन कि ई हमार पत्नी ह तब बहुते अचम्भा लागल रहे हमे बाकिर एह देश में इ सामान्य काम है। कई राज्य में समलैंगिक विवाह स्वीकृति पा चुकल बा। एह देश में ई खबर खूब प्रमुखता से छापल जाला कि तीन लड़िका के बाप आपन लिग परिवर्तन करा के अब मेहारारू बन गइले । ओनकर साक्षात्कार, चित्र, आपरेशन क खर्चा एतना विस्तार से रहो कि वितृष्णा होए लागेला ओही जगह भारत के नजरअन्दाज करे के प्रवृति पूरे अमेरिकी समाचार पत्र में दिखाई पड़ेला। पूरे प्रवास के दौरान तीन चार लाइन से बेसी क त कवनो खबरे ना देखाइल हर्षद मेहता जब नरसिंह राव पर दस करोड़ घूस के आरोप लगवले तब खूब बड़हन समाचार छपल रहे वाशिंगटन पोस्ट में एकरे अलावा अउर कउनो भारतीय विकास के खबर पढ़े के आँख तरस गइल पूरे प्रवास के दौरान।
वाशिंगटन डी सी म्यूजियमो खातिर प्रसिद्ध नगर है। छोट-बड़ कुल मिलाके लगभग पचास गो म्यूजियम बाड़ें एह नगर में अधिकतर बिना टिकट लेहले जाए दलन, ना त एह बनियन के देश में केहू से बतियवहू खातिर डालर देवे के पड़ला । एतने बड़े क्षेत्र में फइलल इ म्यूजियम ह एहिजा कि पैदल घूमे में पूरा दिन बीत गइलो पर एगो म्यूजियम ना पूरा होवे आ हमरे पास खाली सनीचर- इतवार के दिन मिलत रहे एह खातिर। दस बजे के लगभग हम हर सनीचर के निकल जात रहीं म्यूजियम घूमे खातिर। इहाँ के विज्ञान संग्रहालय, अन्तरिक्ष संग्रहालय आ आधुनिक कला संग्रहालय घूमे में हमें कई दिन लाग गइल। अन्तरिक्ष संग्रहालय में जवने राकेट में वइट के नील आर्मस्ट्रांग चन्द्रमा पर उतरल रहलें उहो राखल ह। एगो सिनेमा हालो वा ओह म्यूजियम में जौने में टिकट ले के घुसल जा सकेला- पाँच डालर के टिकट तीन आयामी सिनेमा खातिर हाल में घुसतहीं एगो लाल- नीला चश्मा दहल जाला ओके पहिरले पर तीन आयामी दृश्य देखाई पड़ेला। हवाई जहाज के विकास के सिनेमा रहे ऊ जाने में हम बइठलीं बुझात रहे कि गुब्बारा में बइ के हमहूँ उड़त हई आ जब राइट ब्रदर्स आपन पहिला जहाज उड़वले त इहे बुझात रहे कि ओह जहाज में हम बइठ के उड़त हुई। एकरे अलावे गॅलरी आफ कण्टेम्पेरेटो आर्ट में आधुनिक अमेरिका, फ्रांस आ दुनिया भर के मशहूर चित्रकारन के चित्र है। जगह-जगह घूमते-घूमत इहे बुझात रहे कि का एनहन खातिर भारत दुनिया के नक्सा पर हइए ना ह न त चित्रकारी में कौनो भारतीय के चित्र है, न अउरो कौनो जगहा कौनो कथनो लिखल देखाई पड़ल एह धरती प सबके जरूरत पूरा करे क ताकत है बाकिर कुछ लोगन के हबस पूरा करे में ई धरती असमर्थ ह सांस्कृतिक, साहित्यिक गतिविधि के केन्द्र वाशिंगटन है। साल भर शेक्सपीयर के नाटक इहाँ चलते रहेला स्मिथसोनियन इन्स्टीच्यूट के लाइब्रेरी में सात-आठ लाख किताब बाड़ी से आ लाइब्रेरी आफ कांग्रेस क त कहने का लगभग पचास लाख किताब वाला ई पुस्तकालय दुनिया में सबसे अव्वल है।
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इहाँ जब से आइल हई रोज सबेरे संझा अपने देश के ख्याल आवल करेला एह देश के समृद्धि देख के अपने इहाँ के सबसे गरीब अदिमी के धियान हो आवेला । बुझात ह इहे बात रहल होई स्वामी विवेकानन्द के भितरहूँ जब ऊ अमेरिका आवे के बाद देश भक्ति में ढेरे बुड़ गइलन। इहाँ से लवटले के बाद ऊ जेतना बोललन भारत के गरीब खातिर, देश भक्ति खातिर ओतना पहिले कब्बो ना कहले रहन जून के पहिला इतवार के एगो सम्मेलन आयोजित रहे स्वामी विवेकानन्द के अमेरिका यात्रा के सौ साल पूरा होइले के उत्सव के सम्बन्ध में। राजदूत सिद्धार्थ शंकर रे मुख्य वक्ता रहलन। लगभग डेढ़ सौ श्रोता, अधिकांश भारतीय पहिले नेपाल के राजदूत उपाध्याय जी कुछ बोललन ओकरे बाद नम्बर आइल सिद्धार्थ शंकर रे क भाषण के दौरान ऊ बोललें बुद्ध जी गया में परिनिर्वाण पवलें आ ओही जगहा ज्ञानो मिलल सारनाथ से शुरू क के पूरे देश में घूमते घूमते ऊ जब वापस पहुँचले गया त उहाँ परिनिर्वाण भइल। तीन बार एह बाति के ऊ दोहरवले बगल में झाँक के हम देखलीं त बुझाइल कि कुछ लोग कुल सुन के मुस्कात हवें। हम चाहत रहलीं कि सिद्धार्थ शंकर रे के बता दीं कि परिनिर्वाण भइल कुशीनगर में आ बुद्धत्व मिलल गया में बाकिर बीचे में कहनो मुश्किल रहे भाषण दे के जब उ लौटलन त एगो चिट पर लिखके हम ई बात बतवलीं। पढ़ के ऊ घूम के हमरे ओर देखलन आ आपन गलती मनलन । बाकिर का फाइदा मनले के, अब दुसरके बार भाषण करे के थोड़हीं मिली एह विषय में। वाशिंगटन में कइ ठे मन्दिर के रचना भइल बाटे आ लगातार ओह मन्दिर
में पूजा-पाठ होवल करेला एगो मन्दिर में यज्ञ होत रहे। गइलीं देखे खातिर । वाशिंगटन खातिर उहे बड़ी चीज रहे। इतवार के दिन भर चले वाला कार्यक्रम विष्णु यज्ञ । हम देखके जब उहाँ कहलों कि अइसन यज्ञ अगर भारत में कइल जात त केतना विरोध होत अरे कम से कम सर्वतोभद्र, नवग्रह, सप्तघृत मातृका, षोडश मातृका, दशदिक्पाल, क्षेत्रपाल, चतुःषष्ठी योगिनी ई सब बिना पुजले कइसन यज्ञ । ए भइया, उहाँ सब कहे लगलन एतना समय कहाँ ह ई देश में।
जितना हो जात वा उहे का कम है। हम बतवलों कि ए भाई अगर कौनो अमेरिकी यज्ञ क जानकारी करे खातिर इहाँ आई आ एही के सम्पूर्ण यज्ञ - विष्णु यज्ञ समझ लौ तव। हमें बुझाइल इहाँ हर चीजे क व्यापार हो रहल ह यज्ञो व्यापार में बदल गइल रहल। श्रद्धा से कुछ लेवे के ना ह जेतना बेच सकऽ, बेचऽ, बस एह यज्ञे में भेटाइल एगो भारतीय मूल के मानसिक रूप से मन्द लड़का उमर रहल लगभग १८ साल बाकिर दिमाग खाली पाँच साल के लइका के अठारह साल के हो गइला प त काम दीहल सरकारी जिम्मेदारी हो जाला। उ लड़िका के काम दियाइल वा सरकार के ओर से दफ्तर में चिट्ठी चिपकावे क बाह रे अमेरिका । मानसिक रूप से जे मन्द बा उहो काम के सकेला आ हमरे देश में जे पिछड़ी जाति के मसीहा बनी उहे नू जोही आ नौकरी पाई।
२५ जून से २९ जून तक शिकागो में एगो कान्फ्रेंस में जाए के रहे। होटल शेराटन में रहे खातिर सूट बुक करा लेले रहली हम दूनो जने इन्द्रमणि आ हम २४ के जहाज से उड़ के पहुँच गइनी एयरोड्रोम से टैक्सी ले के खोजते खोजते पहुँचली होटल शेराटन के भव्य होटल डेढ़ सौ डालर रोज क कमरा ई कौनो भारतीय कान्फ्रेंस थोड़ी ही रहल कि पहुँचले के साथे-साथे दामादे जइसन खातिरदारी शुरू हो जाला आ तवने पर सबकर नाक सिकुड़लहीं रहेला। इहाँ केहू आइल त कहाँ ह केहू जनवे ना करेला आपन रहे क ठेकाना कर आपन खाए के इन्तजाम करऽ। खाली एक दिन चाय पार्टी रहे, बस एकाध सेशन में बइठलीं, देखलों कि सब देश में कान्फ्रेन्स एक्के जइसन होलन कौनो बड़हन फरक नाहीं ह एह देश के कान्फ्रेन्स में इन्द्रमणि से कहलों चलऽ हो इन्द्रमणि कहीं घूमल घामल जाए। ई सब त लगले रही। बाहर निकलले पर देखाई पड़ल खूबे ऊँच बिल्डिंग चारो ओर ऊँची-ऊँची इमारत शहर के बीचोबीच शिकागो नदी बहेला एक ओर लेक मिशिगन ह त दूसरी ओर ओह से निकालल कई गो छोट-छोट नहरनुमा नदी। हमहन के होटल के नीचे रहल शिकागो नदी स्टीमर आ जहाज चलत रहल होई कबो अब त छोट- छोट नाव में लोग घूमेलन शहर में कई गो म्यूजियम ह। सांस्कृतिक केन्द्र रहल ह ई नगर। हम लोग घूमते घूमत थक के एक जगह सुस्तात रहलीं। तब तक बँगाली डील डॉल के अदिमी बगल में आ के वइट गइलन एक दू वाक्य अंग्रेजी में बात चीत भइल आ इ जान के कि ऊ बांगला देश से आइल हवें बात बंगला में होए लागल । उहे बतवलन कि सोयर्स टावर जाए के रास्ता केहर से ह। सीयर्स टावर यानी दुनिया के सबसे ऊंची बिल्डिंग। उहाँ तक जाए के रहने कइल। अगला दिन खातिर ओके
मुल्तवी के दौहल गइल । अगिला दिन एकाध सेशन में शामिल हो के तीसरे पहर निकल पड़ली सीयमं टावर खातिर पूछते पूछत बेकर ड्राइव पहुँचलीं। बाप रे, इहे ह सीयर्स जितना हो जात वा उहे का कम है। हम बतवलों कि ए भाई अगर कौनो अमेरिकी यज्ञ क जानकारी करे खातिर इहाँ आई आ एही के सम्पूर्ण यज्ञ - विष्णु यज्ञ समझ लौ तव। हमें बुझाइल इहाँ हर चीजे क व्यापार हो रहल ह यज्ञो व्यापार में बदल गइल रहल। श्रद्धा से कुछ लेवे के ना ह जेतना बेच सकऽ, बेचऽ, बस एह यज्ञे में भेटाइल एगो भारतीय मूल के मानसिक रूप से मन्द लड़का उमर रहल लगभग १८ साल बाकिर दिमाग खाली पाँच साल के लइका के अठारह साल के हो गइला प त काम दीहल सरकारी जिम्मेदारी हो जाला। उ लड़िका के काम दियाइल वा सरकार के ओर से दफ्तर में चिट्ठी चिपकावे क बाह रे अमेरिका । मानसिक रूप से जे मन्द बा उहो काम के सकेला आ हमरे देश में जे पिछड़ी जाति के मसीहा बनी उहे नू जोही आ नौकरी पाई।
२५ जून से २९ जून तक शिकागो में एगो कान्फ्रेंस में जाए के रहे। होटल शेराटन में रहे खातिर सूट बुक करा लेले रहली हम दूनो जने इन्द्रमणि आ हम २४ के जहाज से उड़ के पहुँच गइनी एयरोड्रोम से टैक्सी ले के खोजते खोजते पहुँचली होटल शेराटन के भव्य होटल डेढ़ सौ डालर रोज क कमरा ई कौनो भारतीय कान्फ्रेंस थोड़ी ही रहल कि पहुँचले के साथे-साथे दामादे जइसन खातिरदारी शुरू हो जाला आ तवने पर सबकर नाक सिकुड़लहीं रहेला। इहाँ केहू आइल त कहाँ ह केहू जनवे ना करेला आपन रहे क ठेकाना कर आपन खाए के इन्तजाम करऽ। खाली एक दिन चाय पार्टी रहे, बस एकाध सेशन में बइठलीं, देखलों कि सब देश में कान्फ्रेन्स एक्के जइसन होलन कौनो बड़हन फरक नाहीं ह एह देश के कान्फ्रेन्स में इन्द्रमणि से कहलों चलऽ हो इन्द्रमणि कहीं घूमल घामल जाए। ई सब त लगले रही। बाहर निकलले पर देखाई पड़ल खूबे ऊँच बिल्डिंग चारो ओर ऊँची-ऊँची इमारत शहर के बीचोबीच शिकागो नदी बहेला एक ओर लेक मिशिगन ह त दूसरी ओर ओह से निकालल कई गो छोट-छोट नहरनुमा नदी। हमहन के होटल के नीचे रहल शिकागो नदी स्टीमर आ जहाज चलत रहल होई कबो अब त छोट- छोट नाव में लोग घूमेलन शहर में कई गो म्यूजियम ह। सांस्कृतिक केन्द्र रहल ह ई नगर। हम लोग घूमते घूमत थक के एक जगह सुस्तात रहलीं। तब तक बँगाली डील डॉल के अदिमी बगल में आ के वइट गइलन एक दू वाक्य अंग्रेजी में बात चीत भइल आ इ जान के कि ऊ बांगला देश से आइल हवें बात बंगला में होए लागल । उहे बतवलन कि सोयर्स टावर जाए के रास्ता केहर से ह। सीयर्स टावर यानी दुनिया के सबसे ऊंची बिल्डिंग। उहाँ तक जाए के रहने कइल। अगला दिन खातिर ओके मुल्तवी के दौहल गइल ।
अगिला दिन एकाध सेशन में शामिल हो के तीसरे पहर निकल पड़ली सीयमं टावर खातिर पूछते पूछत बेकर ड्राइव पहुँचलीं। बाप रे, इहे ह सीयर्स टावर! देखले पर बुझाइल कौनो दैत्य के सामने बौना खड़ा हो गइल होखे। अपने होटल में बइठ के खिड़की से एकरे एण्टीना के हम लोग देखत रहली बाकिर तब बुझाइल ना रहे कि ई दैत्य इतना बड़ा होई। छह डालर टिकट लागल ऊपर जाए क जाए खातिर पहिले सोढ़ी से नीचे उतरे के पड़ल, लिफ्ट में बइठ के ११० मन्जिली दुनिया के सबसे ऊंच मीनार पर चढ़े के आनन्दे कुछ अउरो रहे लिफ्ट बुझाते ना रहे कि केतना तेज चलत रहे। एक सेकेण्ड खातिर मन्जिल क संख्या देखावल गइल बाप रे सेकेण्ड में दू मन्जिल पार करते करत लगभग डेढ़ मिनट में हमनी ११० वीं मन्जिल प पहुँच गइलीं। इह सीयर्स रोवक एण्ड कम्पनी क मुख्यालय एकर ऊंचाई ह १४५४ फीट बन के तैयार भइल १९७४ में एकरे कुल मंजिल के क्षेत्र के योग ह १०१ एकड़ भा चौवालीस लाख वर्गफीट । ६ मार्च १९७३ के तीसरे पहर दू बज के पैंतीस मिनिट पर जब एकर १०४ वीं मंजिल बनल त ई दुनिया के सबसे ऊँचा भवन बन गइल। एकरे एण्टीना के साथ एकर कुल ऊंचाई ह १५५९ फीट एकरे भीतर १०३ गो लिफ्ट बाड़ों से एह बिल्डिंग के कुल खिड़िकिन के संख्या ह सोलह हजार बुझात वा एह बिल्डिंग के मालिकन के सोलह हजार संख्या से ढेरे लगाव बा
सबसे ऊँची बिल्डिंग पर चढ़ के अजीबे लागत रहे चारो ओर सोसादार बन्द खिड़की। दूर क आदिमी, मकान कुल खिलौना मतिन लागत रहलें। कइगो दूरबीन रखल रहली इहाँ पचीस सेण्ट डलला प आधा मिनट देखा सकेला। देखली दूर पर शिकागो बेसबाल वाला शिकागो बुल क्लब पूरा देखे के पहिलहीं समय खतम आ पइसा हजम समय पूरा होतहीं देखाइ देव बन्द । बचपन में जइसे बाइस्कोप वाला आवत रहे पइसा फेंको तमासा देखो गावत गावत दिल्ली के कुतुबमीनार, आगरा के ताजमहल देखा के कहे खेल खतम आ पइसा हजम ऊहे बुझाइल हर आदिमी के भीतर एगो बच्चा हर समय रहल करेला खैर नंगी आँख से देखले पर चारो तरफ से चार गो राज्य देखाई देत रहल पूरब में मिशीगन राज्य आ लेक मिशिगन, पच्छिम में आयोवा राज्य आ मिसौरी, उत्तर में विस्कॉन्सिन आ दक्खिन में इण्डियाना दूर पर ई चारो राज्य क सीमा देखात रहे। आदिमी क करगुजारी का कब्बो बुझलो जा सकेला!. चार दिन के शिकागो प्रवास के बाद यूनाइटेड एयर के उड़ान से वापसी ।
हवाई अड्डा पर पता चलल कि उड़ान में एक घण्टा देरी बा जब समय भइल त यूनाइटेड एयर वाले लोग माफी माँगते कहलन कि पचास डालर के डिस्काउण्ट हमहन के ओरी से ई जवन देरी भइल ओकरे वास्ते ई लागल कि समय के कीमत बूझे के होखे त सभेके इहाँ आवे के चाहीं चौबीस घण्टा लेट चले वाली रेल वाले देश में ई कइसे आ कहिया होई आ का कब्बो होबो करी। हवाई अडवे प देखाई पड़ल नाक सुनकत एगो तेरह साढ़े तेरह साल के निग्रो लइकी गोद में बच्चा लेहले इन्द्रमणि से पूछली-इ का एही क लड़का ह। इन्द्रमणि कहलन - हाँ बच्चा पैदा करिह । बाकिर व्याह ना करिहs। यानि बिना व्याहे क लड़का । सामाजिक न्याय खातिर हर बच्चा खातिर पाँच सौ डालर अनव्याही मतारी के मिली। ऊ तेरह साल से शुरू क के चालीस साल तक लगभग आठ दस बच्चा पैदा करी हर बच्चा पर पाँच सौ डालर तबले मिली जबले बच्चा अठारह साल कन हो जाए। आदिमी के शराब के खर्चा त नाजायज सन्ताने दे सकेला एह देश में सुन के ऊबकाई लागे लागल। मगर अब अपनहूँ देश में अनव्याहे मातृत्व के चर्चा होखे लागल बा कुछ लोग त गर्व करेलन एह बातन प
वाशिंगटन अइला प ओही दिने अखबार में एगो समाचार रहे कि एगो लड़की अपने बापे प मुकदमा कइले रहल कि ओकर बाप ओकरे साधे बलात्कार कइले रहलन। बाप स्वीकार क लेहलन आ पचास हजार डालर में मामला तय हो गयल एगो नया अनुभव। बाबा रे बाबा, इहो होखेला एह देश में एक ओर एतना समृद्धि त दूसरी ओर एतना पतन आम अमेरिकी ई कुल नाहिए करेलन बाकिर कुछ लोग त करतहीं हउअन। कुछे दिन बाद टी०वी० पर समाचार आइल एगो गोरे अदिमी के बारे में जे लोगन के मार के ओकरे माँस के खात रहे फ्रिज में रख देत रहे आ धीरे-धीरे स्वाद ले लेके खात रहे। ओके विकृत दिमाग वाला कह के पागलखाना भेज दीहल गइल हमें अब रह रहके उचाट लागत रहे । बुझात रहे अपने देश के माटि के केतना मोहक गन्ध है कहिया देश वापसी होई। बाप रे, अवहियों त एक महीना औरी गुजारे के ह।
तबले आ गइल अमेरिकी स्वाधीनता दिवस, चार जुलाई। तीन जुलाई। रात में एगो कार्यक्रम आइल रेड इण्डियन का ओर से कि हमहन के धोखा दे के ई देश आजाद भइल जार्ज वाशिंगटन के सथे हमहन के पूर्वज ई समझौता कइले रहलन कि हम लोगन के एतना भाग दियाई, बाकिर अबहिन ले ऊ ना भयल तब पता चलल कि एहू देश में भितरे भीतर विद्रोह दू सौ साल से चल रहल ह । ई अलग बात वा कि रेड इण्डियन लोग कमजोर हउअन त अमेरिका पूरा तरह से ओ लोगन के दबा के रखले बा। रेड इण्डियन लोग आपन अलगे उत्सव करेला मूल धारा से अलगे-थलग ! ई कुल चलते रहेला अगिला दिन चार जुलाई के वाशिंगटन मातृमण्ट के सामने पोटोमैक नदी के बगल में लम्बा मैदान में हजारन लोगन के झुण्ड जमा हो गइल रहे। एक ओर कैपिटोल हिक के गुम्बदनुमा भवन दूसरी ओर लिंकन मेमोरियल। एक ओर स्मिथसोनियन इन्स्टीच्यूट त दूसरी ओर ह्वाइट हाउस । चारो ओर लोगन के भीड़-भाड़ बीचे बीचे कइगो स्टाल लागल रहे। अन्तरराष्ट्रीय कृष्ण चेतना संघ क ओर से झाँझ बाजत रहल आ कीर्तन होत रहल। नीक लागल। गाय के पूजा होत बा आ कोर्तन हो रहल वा बुझाएल कि आजे अपने देश पहुँच गइलीं। ऊहाँ क भक्त लोग हमरे ललाट पर टीका देख के पृछलन आप भारत से आइल हई न हम कहली हाँ तब त आप धन्य हई वृन्दावन, मथुरा वाले देश से आइल हुई। देखों कब हमार भाग जागी आ कब हम उहाँ जा पाइब बुझाइल कि केतना भारत प्रेम ओनके भीतर हिलोर मारत रहे।
पोटोमैक पार्क के एक ओरी ह लिकन मेमोरियल लिकन के प्रति हमरे मन में शुरु से अगाध श्रद्धा रहल है। खास कर के गुलामन के आजादी दियावे खातिर ऊ वइसही आपन प्रान दे दिहलन जइसे गणेश शंकर विद्यार्थी आ श्रद्धानन्द मुसलमानन खातिर भा सगरे देश खातिर जइसे गांधीजी लिंकन मेमोरियल १९२२ में बन के तैयार भइल। एकर डिजाइन हेनरी बेकन बनवले रहलन आ एम्मन ३६ खम्भा हवे। ओह समय यानी १८६१ में जब लिकन के हत्या भइल रहे ओह समय त ३६ राज्यन के देश रहे अमेरिका वाशिंगटन के समय में १३ गो राज्य रहलन आ लिकन के समय तक ३६ गो रहलन, आज वाइन पचास गो। प्रत्येक खम्भा एक राज्य खातिर है। ओहपर ओ राज्य के नाम खुदल वा बोचे में उन्नीस फीट ऊँची भव्य मूर्ति ह लिकन के बइठल मुद्रा में चारो ओर ओनकर कहल वाक्य खोदल हवे । इहाँ आके परम शान्ति मिलल साँझ होते-होते सब लोग इकट्ठा हो गइल। मानूमेण्ट के पास दूर पर पोटोमैक के एक किनारे कम्प्यूटर के सहायता से आतिशबाजी होखे वाला रहल। इन्द्रमणि कहलन ई बड़ा सुन्दर दृश्य होला सर कई लाख डालर के आतिशवाजी छूटेला वाकई बहुते मोहक दृश्य रहे ऊ आतिशबाजी क डेढ़ घण्टा ऊ चलल होई, सब लोग आकाशे ताकत रहे। सबकर कैमरा क्लिक क्लिक करत रहे। हमनियो फोटो लेहलीं। रात्रि के लगभग दस बजे ले ई कुल चलल ।
एकरे कुछ दिन बाद हमार एगो दूसर छात्रा श्रीमती शारदा मिश्र सपरिवार आ गइलों ओनके साथे अमेरिकी राष्ट्रपति के आवास हाइट हाउस के भीतर जाएके योजना बनल रोज सबेरे ६ बजे से लम्बी लाइन लगेला हाइट हाउस के सैर खातिर। एक हजार लोगन के टिकट मिलेला। हम टिकट ले के अन्दर गइलीं। जौने कमरा में जान एडम बइठत रहे आ जीने में लिंकन बइठ के दासता मुक्ति के घोषणा तैयार कइले ऊ कुल देखलीं। इहो बतावल गयल कि इहाँ के साज-सज्जा में केनेडी के पत्नी जैकलिन के खास योगदान है। कुछ देख के बाहर निकललों त क्लिण्टन के आदमकद कटआउट देखाई पड़ल। कई लोग ओकरे बगल में खड़ा होके वइसही फोटो खिचवावत रहलन जइसन अपने इहाँ राजीव आ अमिताभ के कट आउट के साथ केहू करेला आदमी सभे जगहा एके जइसन होलन, ई समझे में देरी ना लागल इ कुल देखत खड़ा रहलों कि एगो अमेरिकी माफी माँगते माँगते पुछलन कि आपके माथा पई खून वाला निशान कइसन ह का लगातार खून बहते रहेला एह से हम ओह अदिमी के बतवली कि ना भाई, हमरे देश के अदिमों के तीन गो आँख ह ई कहल जाला कि तिसरी आँख ह दूनों भौंह के बिच्चे में आहो प टीका लगा के ध्यान लगावल जाला। एकर अउरो रहस्य ह बाकी तोहरे खातिर एतने काफी है सुनके ऊ बोलल अच्छा, त एतना गम्भीर चीज ह इ टीका लगावल हिन्दू धर्म के बारे में अब हम पढ़े के कोशिश करब ।
अमेरिका अलग-अलग संस्कृति, सभ्यता आ रहन-सहन क देश ह। जब वामन भगवान बलि के सब कुछ अपने अढ़ाई पैर से नाप लिहलन आ बाकी आधा पैर रखे खातिर जगह ढूंढे लगलन त बलि खुदे लेट गइलन प्रसन्न हो के भगवान ओनके रहे खातिर पाताल जाए के कहलन। उहे पाताल लोक ह अमेरिका । बलि के खाए खातिर व्यवस्था भइल कि बलि वैश्वदेव, आ श्राद्धान्न के साथै अवैदिक रीति से कइल पूजन के भोजन करिहैंऽ अब तक बलि के वंशज यँकी उहे कर रहल बाड्न शायद एही सब वजह से समुद्री यात्रा के निषेध आ प्रायश्चितो क विधान भयल रहल होई। हम त लवट अइलीं आ बुझाइल कि घरे क बुद्धू घरे आ गइलन, इहे बड़े प्रायश्चित बा हवे कि ना रउआँ सबै बताई!