हमनी के राति दिन दुखवा भोगत वानों हमन के साहेब से मिनती सुनाइबि हमनों के दुख भगवनओ न देखता जे हमनीं के कबले कलेसवा उठाइब
जा पदरी सहेब के कचहरी में जाइब बेधरम होके रंगरेज बानि जाइवि हाय राम! धरम न छोड़त बनत बा जे बेधरम होके कइसे मुँहवा देखाइबि
गजराज खंभवा के फारि पहलाद के बचवले जे ग्राह के मुँह से के बचवले धोती जुरजोधना के भइया छोरत रहे परगट होके तहाँ कपड़ा बढ़वले
रवनवा मरले के पलले भभिखना के कानी अंगुरी पे धके पथरा उठवले कहवा सुतल बाटे सुनत न बाटे डोम जानि हमनी के छुए से डेरइले अब
हमनी के राति दिन मेहनत करींलेजा दुइ गो रुपयवा दरमहा में पाइब ठकुरे जे सुख से त घर में सुतल बानी हमनी के जोति जोति खेतिया कमाइबि
हाकिम के लसकरि उतरल बानों जे त उहवो बेगरिया में पकरल जाइबि मुँह बान्हि ऐसन नोकरिया करत बानी खबरि सरकार के सुनाइबि ई कुल
बभने के लेखे हम भिखिया न माँगन जा ठकुरे के लेखे नाहीं लउरी चलाइबि
महुआ के लेखे नाहीं डाँड़ी हम मारब जा अहिरा के लेखे नाहीं गइया चोराइब
भेंटऊ के लेखे न कवित हम जोरब जा पगड़ी न बान्हि के कचहरी में जाइबि अपना पसिनवा के पइसा कमाइबि जा घर भर मिलिजुली बाँटि-चोटि खाइबि
हड़वा मसुइया के देहिया ह हमनी के ओकरे के देहिया बभनओ के बानी ओकरा के घरे-घरे पुजवा होखत बा जे सारे इलकवा भइलें जजमानी
हमनी के इनरा के निगिचे न जाइलें जा पाँके में से भरि भरि पिअतानी पानी पनही से पिटि पिटि हाथ-गोड़ तुड़ि देलें हमनों के एतनी काहे के हलकानी ।