गाँव क बात
गीत जनसरिया के होत भोरहरिया में, तेतरी मुरहिया के राग मन मोहइ । राम के रटनियाँ सुगनवा के पिजरा में, ओरिया में टैंगल अँगनवा में सोहइ । माँव-गाँव करैला बरुआ मड़इया में गइयवा होकारि के मड़इया में जोहड़ चतुरी के चिलम चढ़ल गुड़गुड़िया प बतिया प बात घरफेकना सटोहइ ॥
पियरी पहिरि के सिवान मुसुकात बाय रहि रहि मधुरी बयार विष घोलइ । तितिली रंगाय भाँति-भाँति के चुनर चलें, रसिया भँवर फुलवरिया में डोलइ । आँख मारइ उँखिया लगाइ के कजरवा कि, मसकि मसकि रहि जाय नहि बोलइ । काढ़ि के करेज बिरहिनियाँ के लेइ जाई, पेड़वा के गाँछि कोइलरिया टिभोलइ ॥
सुगनी सहोदरी जेठान देवरनियाँ के आये दिन झगरा के बाय परिपाटी । चुलिया चुल्हइया चिविल्लइ देखावैला कि दूनों के लड़ाई के निकलि जाला हाटी। एक ना नरम एक एक से गरम, केहू जाय समुझावै त उलटि जाले माटी। दिनभर टोलवा होहलवा में भरमल, कुकुरा ओहर भुड़काय रहा टाटी ॥
कँटिया सरिस गर्दै मटिया सुखाइलि कि चड़ती कटनियाँ छेदाइ जाला पडवाँ मुँड़वा में बलिया के ढूँडवा समाइ जाला, कुल खजुवाइ जाला पसुली गरउवाँ । रतिया के सुतले में कर कर करकेला, निनियाँ न आवेला दहिनवाँ का बउवाँ। मटिया के जिनिगो में मरदा के बरदा, सबही के गरदा मचल भरि गउवाँ ॥
डमरू बजावै ढॉल पोटि के बोलावे आवै, कब के मदरिया देखाइ जाला खेला। होरिया देवरिया के गाँव घर उमड़ेला, लड़िका धधाय जालें देखें बदे मेला । भाँति-भाँति रूप बहुरुपिया देखाइ जाला, सेठ साहूकार कबों खून कइ देला । ऊँच-नीच खोरिया में टहकी अँजोरिया में आवैले बयरिया गमकि जाला बेला ॥
हिरवा के मोतिया के जोड़िया दुअरवा प परल दलनवाँ पुअरवा के पलना । जड़वा के दिनया में सब समुवाय जाला एकही रजाई बाटै केंची केंचा ललना। आवा गावा हिता नाता घटले के बढ़ले के पास के परोसिया से मँगनी क चलना। जिनिगी जुगाड़ के पिछाड़ गिरहतिया में, रतिया बखतिया परत बाटै कल ना ॥
रस बरिसाई जाले रतिया चननियाँ, कि भोर अगहनवाँ के सोनवा लुटावइ । गतिया बन्हल लरिकइयवाँ उमिरिया में, ओरिया के निचवा दुअरिया जगावइ।
तुली देखाय हँसि हँसि किलकारैला, कि तोतरी वचनिया से जिया जुड़वावइ । सुखुआ के सपना प सपना थिरिक जाय, चूमि- चूमि गोदिया में गरवाँ लगावई ॥
गाइ गाइ लोरिया अँजोरिया बुलावैली कि अँगने खटोलवा परल तिरकोना। आरे आवा बारे आवा नदिया किनारे आवा, सोने के कटोरिया में दूध भात लोना । आजी आवा आजा आवा नानी नन्ना मम्मा आवा, आठ रे चिरइया ले आई दे खदोना। तिसिया के तेल सरसोइयवा के अबटन, नीक लागे नन्हका के मथवा डिटोना ।।
हँसुवा के धार बाय हाथ के अँगुरिया हो, कबी-कबी लोहुआ लोहान होइ जाले। आँखया में तिनका समाय जाला कबहूँ के, कबहूँ चटक जाले पलई दुखा ले। बोझवा से कबो गर्दनिया टेढाइ जाले कबो के कमरिया में करक समाले । केतनी बिपतिया कहल कहि जात नाहीं, छोट परी धरती न लिखत अँटाले ॥
चाहे केहू कतनो दुखाइ ले दबाइ लेउ, चाहे अजमाइ केहू मारि लेउ पेटा । दऊ रूठ जायें चाहे रजवा कोहाइ जाउ, ससुरी समइया अँइठि जाउ घंटा। दुनिया के जाल जंजाल के समेटले वा, कसले वा कस के कमरिया के फेंटा । साहसी सपूत अनुकूल बल बँहिया में कबो ना निरास हो किसनवा के बेटा ॥
गाँव के देहात वाली बात भोजपुरिया क, धूरिया में लोटि के हँसैले लरिकाई । आसन बसन में घसन बाटै मटिया क, टटिया मड़इया में बिछेले चटाई। ललुवा क लोरकी नन्हकुवा के बिरहा, कि निबिया के छँहिया जमकलें रे भाई। दुनिया क लेखा-जोखा अँगुरी के पोर पोर ओर-छोर धरती के जात बा कमाई ॥
लमकी तरोई लतराय खंडहरवा में, बँड़वा में बोड़वा के बढ़त विरउवा । चढ़ि रेड़वरिया पर सेमियाँ गँछइलों कि मोछिया मुरेरैला मड़इया पै लउवा । धार-धार केरवा के कुंइयाँ प लटकल निबुआ में छोट-छोट लगलै डिउवा। रघुवा क भुँअरी इस नगिचाइल बा सगुन बतावैला बँड़ेरिया पर कड़वा ॥
कबों के अकाल कब कबों बढ़ियरिया में, सगरी कियरिया चभोर जाला पनिया । कब कब लागल फसिलिया सुखाइ जाले, बिजुरी गिराइ मारै अल्हर जवनिया । कबहूँ के पाला कबों पथरा बरसि जाला, धौंस जाले टूटि के पुरनकी पलनिया। कठिन करेज गिरहतिया सम्हरले बा धन रे किसान धन तोहरी किसनिया ॥