shabd-logo

राम जियावन दास 'बावला'

6 November 2023

2 देखल गइल 2

गाँव क बात

गीत जनसरिया के होत भोरहरिया में, तेतरी मुरहिया के राग मन मोहइ । राम के रटनियाँ सुगनवा के पिजरा में, ओरिया में टैंगल अँगनवा में सोहइ । माँव-गाँव करैला बरुआ मड़इया में गइयवा होकारि के मड़इया में जोहड़ चतुरी के चिलम चढ़ल गुड़गुड़िया प बतिया प बात घरफेकना सटोहइ ॥

पियरी पहिरि के सिवान मुसुकात बाय रहि रहि मधुरी बयार विष घोलइ । तितिली रंगाय भाँति-भाँति के चुनर चलें, रसिया भँवर फुलवरिया में डोलइ । आँख मारइ उँखिया लगाइ के कजरवा कि, मसकि मसकि रहि जाय नहि बोलइ । काढ़ि के करेज बिरहिनियाँ के लेइ जाई, पेड़वा के गाँछि कोइलरिया टिभोलइ ॥

सुगनी सहोदरी जेठान देवरनियाँ के आये दिन झगरा के बाय परिपाटी । चुलिया चुल्हइया चिविल्लइ देखावैला कि दूनों के लड़ाई के निकलि जाला हाटी। एक ना नरम एक एक से गरम, केहू जाय समुझावै त उलटि जाले माटी। दिनभर टोलवा होहलवा में भरमल, कुकुरा ओहर भुड़काय रहा टाटी ॥

कँटिया सरिस गर्दै मटिया सुखाइलि कि चड़ती कटनियाँ छेदाइ जाला पडवाँ मुँड़वा में बलिया के ढूँडवा समाइ जाला, कुल खजुवाइ जाला पसुली गरउवाँ । रतिया के सुतले में कर कर करकेला, निनियाँ न आवेला दहिनवाँ का बउवाँ। मटिया के जिनिगो में मरदा के बरदा, सबही के गरदा मचल भरि गउवाँ ॥

डमरू बजावै ढॉल पोटि के बोलावे आवै, कब के मदरिया देखाइ जाला खेला। होरिया देवरिया के गाँव घर उमड़ेला, लड़िका धधाय जालें देखें बदे मेला । भाँति-भाँति रूप बहुरुपिया देखाइ जाला, सेठ साहूकार कबों खून कइ देला । ऊँच-नीच खोरिया में टहकी अँजोरिया में आवैले बयरिया गमकि जाला बेला ॥

हिरवा के मोतिया के जोड़िया दुअरवा प परल दलनवाँ पुअरवा के पलना । जड़वा के दिनया में सब समुवाय जाला एकही रजाई बाटै केंची केंचा ललना। आवा गावा हिता नाता घटले के बढ़ले के पास के परोसिया से मँगनी क चलना। जिनिगी जुगाड़ के पिछाड़ गिरहतिया में, रतिया बखतिया परत बाटै कल ना ॥

रस बरिसाई जाले रतिया चननियाँ, कि भोर अगहनवाँ के सोनवा लुटावइ । गतिया बन्हल लरिकइयवाँ उमिरिया में, ओरिया के निचवा दुअरिया जगावइ। 

तुली देखाय हँसि हँसि किलकारैला, कि तोतरी वचनिया से जिया जुड़वावइ । सुखुआ के सपना प सपना थिरिक जाय, चूमि- चूमि गोदिया में गरवाँ लगावई ॥

गाइ गाइ लोरिया अँजोरिया बुलावैली कि अँगने खटोलवा परल तिरकोना। आरे आवा बारे आवा नदिया किनारे आवा, सोने के कटोरिया में दूध भात लोना । आजी आवा आजा आवा नानी नन्ना मम्मा आवा, आठ रे चिरइया ले आई दे खदोना। तिसिया के तेल सरसोइयवा के अबटन, नीक लागे नन्हका के मथवा डिटोना ।।

हँसुवा के धार बाय हाथ के अँगुरिया हो, कबी-कबी लोहुआ लोहान होइ जाले। आँखया में तिनका समाय जाला कबहूँ के, कबहूँ चटक जाले पलई दुखा ले। बोझवा से कबो गर्दनिया टेढाइ जाले कबो के कमरिया में करक समाले । केतनी बिपतिया कहल कहि जात नाहीं, छोट परी धरती न लिखत अँटाले ॥

चाहे केहू कतनो दुखाइ ले दबाइ लेउ, चाहे अजमाइ केहू मारि लेउ पेटा । दऊ रूठ जायें चाहे रजवा कोहाइ जाउ, ससुरी समइया अँइठि जाउ घंटा। दुनिया के जाल जंजाल के समेटले वा, कसले वा कस के कमरिया के फेंटा । साहसी सपूत अनुकूल बल बँहिया में कबो ना निरास हो किसनवा के बेटा ॥

गाँव के देहात वाली बात भोजपुरिया क, धूरिया में लोटि के हँसैले लरिकाई । आसन बसन में घसन बाटै मटिया क, टटिया मड़इया में बिछेले चटाई। ललुवा क लोरकी नन्हकुवा के बिरहा, कि निबिया के छँहिया जमकलें रे भाई। दुनिया क लेखा-जोखा अँगुरी के पोर पोर ओर-छोर धरती के जात बा कमाई ॥

लमकी तरोई लतराय खंडहरवा में, बँड़वा में बोड़वा के बढ़त विरउवा । चढ़ि रेड़वरिया पर सेमियाँ गँछइलों कि मोछिया मुरेरैला मड़इया पै लउवा । धार-धार केरवा के कुंइयाँ प लटकल निबुआ में छोट-छोट लगलै डिउवा। रघुवा क भुँअरी इस नगिचाइल बा सगुन बतावैला बँड़ेरिया पर कड़वा ॥

कबों के अकाल कब कबों बढ़ियरिया में, सगरी कियरिया चभोर जाला पनिया । कब कब लागल फसिलिया सुखाइ जाले, बिजुरी गिराइ मारै अल्हर जवनिया । कबहूँ के पाला कबों पथरा बरसि जाला, धौंस जाले टूटि के पुरनकी पलनिया। कठिन करेज गिरहतिया सम्हरले बा धन रे किसान धन तोहरी किसनिया ॥

35
लेख
पुरइन-पात
0.0
भोजपुरी के प्रमुख साहित्यकार डॉ. अरुणेश नीरन अपना सम्मोहक रचना से साहित्यिक परिदृश्य पर अमिट छाप छोड़ले बाड़न. अपना अंतर्दृष्टि वाला कहानी खातिर विख्यात ऊ अइसन कथन बुनत बाड़न जवन भोजपुरी भाषी क्षेत्रन के समृद्ध सांस्कृतिक टेपेस्ट्री से गुंजायमान बा. नीरन के साहित्यिक योगदान अक्सर सामाजिक गतिशीलता के बारीकियन में गहिराह उतरेला, जवन मानवीय संबंधन आ ग्रामीण जीवन के जटिलता के गहन समझ के दर्शावत बा। उनकर लेखन शैली भोजपुरी संस्कृति के सार के समेटले बा, पारंपरिक तत्वन के समकालीन विषय के साथे मिलावत बा। डॉ. अरुणेश नीरन के भोजपुरी भाषा आ धरोहर के संरक्षण आ संवर्धन खातिर समर्पण उनुका काम के निकाय में साफ लउकत बा. एगो साहित्यिक हस्ती के रूप में उहाँ के अतीत आ वर्तमान के बीच सेतु के रूप में खड़ा बानी, ई सुनिश्चित करत कि भोजपुरी साहित्य के अनूठा आवाज उहाँ के अंतर्दृष्टि वाला कलम के तहत पनपत आ विकसित होखत रहे।
1

स्वस्ती श्री

4 November 2023
1
0
0

भोजपुरी क्षेत्र की यह विशेषता है कि वह क्षेत्रीयता या संकीर्णता के दायरे में बँध कर कभी नहीं देखता, वह मनुष्य, समाज और देश को पहले देखता है। हिन्दी भाषा और साहित्य के विकास में भोजपुरी भाषी लोगों का अ

2

कविता-खण्ड गोरखनाथ

4 November 2023
0
0
0

अवधू जाप जप जपमाली चीन्हों जाप जप्यां फल होई। अजपा जाप जपीला गोरप, चीन्हत बिरला कोई ॥ टेक ॥ कँवल बदन काया करि कंचन, चेतनि करौ जपमाली। अनेक जनम नां पातिंग छूटै, जयंत गोरष चवाली ॥ १ ॥ एक अपोरी एकंकार जप

3

भरथरी - बारहमासा

4 November 2023
0
0
0

चन्दन रगड़ी सांवासित हो, गूँथी फूल के हार इंगुर माँगयाँ भरइतो हो, सुभ के आसाढ़ ॥ १ ॥ साँवन अति दुख पावन हो, दुःख सहलो नहि जाय। इहो दुख पर वोही कृबरी हो, जिन कन्त रखले लोभाय ॥ २ ॥ भादो रयनि भयावनि हो, ग

4

कबीरदास

4 November 2023
1
0
0

झीनी झीनी बीनी चदरिया | काहे के ताना काहे के भरनी, कौने तार से बीनी चदरिया | इंगला पिगला ताना भरनी, सुषमन तार से बीनी चदरिया | आठ कँवल दल चरखा डोलै, पाँच तत्त गुन तीनो चदरिया | साई को सियत मास दस लागे

5

धरमदास

4 November 2023
0
0
0

सूतल रहली मैं सखिया त विष कइ आगर हो । सत गुरु दिहलेंड जगाइ, पावों सुख सागर हो ॥ १ ॥ जब रहली जननि के अंदर प्रान सम्हारल हो । जबले तनवा में प्रान न तोहि बिसराइव हो ॥ २ ॥ एक बूँद से साहेब, मंदिल बनावल

6

पलटू साहेब

4 November 2023
0
0
0

कै दिन का तोरा जियना रे, नर चेतु गँवार ॥ काची माटि के घैला हो, फूटत नहि बेर । पानी बीच बतासा हो लागे गलत न देर ॥ धूआँ कौ धौरेहर बारू कै पवन लगै झरि जैहे हो, तून ऊपर सीत ॥ जस कागद के कलई हो, पाका फल डा

7

लक्ष्मी सखी

4 November 2023
0
0
0

चल सखी चल धोए मनवा के मइली ॥ कथी के रेहिया कथी के घइली । कबने घाट पर सउनन भइली ॥ चितकर रेहिया सुरत घड़ली । त्रिकुटी भइली ॥ ग्यान के सबद से काया धोअल गइली । सहजे कपड़ा सफेदा हो गइली ॥ कपड़ा पहिरि लछिमी

8

बाबू रघुवीर नारायण बटोहिया

4 November 2023
1
0
0

सुन्दर सुभूमि भैया भारत के देसवा से मोरे प्रान बसे हिम-खोह रे बटोहिया एक द्वार घेरे राम हिम कोतवलवा से तीन द्वार सिधु घहरावे रे बटोहिया जाहु जाहु भैया रे बटोही हिन्द देखि आउ जहवाँ कुहकि कोइलि बोले रे

9

हीरा डोम

4 November 2023
0
0
0

हमनी के राति दिन दुखवा भोगत वानों हमन के साहेब से मिनती सुनाइबि हमनों के दुख भगवनओ न देखता जे हमनीं के कबले कलेसवा उठाइब जा पदरी सहेब के कचहरी में जाइब बेधरम होके रंगरेज बानि जाइवि हाय राम! धरम न छोड

10

महेन्दर मिसिर

4 November 2023
0
0
0

एके गो मटिया के दुइगो खेलवना मोर सँवलिया रे, गढ़े वाला एके गो कोंहार कवनो खेलवना के रंग बाटे गोरे-गोरे मोर सँवलिया रे कवनो खेलवना लहरदार कवनो खेलवना के अटपट गढ़निया मोर सँवलिया रे, कवनो खेलवना जिउवामा

11

मनोरंजन प्रसाद सिन्हा - मातृभाषा आ राष्ट्रभाषा

6 November 2023
0
0
0

दोहा जय भारत जय भारती, जय हिन्दी, जय हिन्द । जय हमार भाषा बिमल, जय गुरू, जय गोविन्द ॥ चौपाई ई हमार ह आपन बोली सुनि केहू जनि करे ठठोली ॥ जे जे भाव हृदय के भावे ऊहे उतरि कलम पर आवे ॥ कबो संस्कृत, कबह

12

कौना दुखे डोली में रोवति जाति कनियाँ

6 November 2023
0
0
0

भारत स्वतन्त्र भैल साढ़े तीन प्लान गैल बहुत सुधार भैल जानि गैल दुनियाँ चोट के मिलल अधिकार मेहरारून का किन्तु कम भैल ना दहेज के चलनियाँ एहो रे दहेज खाती बेटिहा पेरात बाटे तेली मानों गारि-गारि पेर

13

महुआबारी में बहार

6 November 2023
0
0
0

असों आइल महुआबारी में बहार सजनी कोंचवा मातल भुँइया छूए महुआ रसे रसे चूए जबसे बहे भिनुसारे के बेयारि सजनी पहिले हरका पछुआ बहलि झारि गिरवलसि पतवा गहना बीखो छोरि के मुँड़ववलसि सगरे मथवा महुआ कुछू नाहीं

14

राम जियावन दास 'बावला'

6 November 2023
0
0
0

गाँव क बात गीत जनसरिया के होत भोरहरिया में, तेतरी मुरहिया के राग मन मोहइ । राम के रटनियाँ सुगनवा के पिजरा में, ओरिया में टैंगल अँगनवा में सोहइ । माँव-गाँव करैला बरुआ मड़इया में गइयवा होकारि के मड़इया

15

सपना

6 November 2023
0
0
0

सूतल रहली सपन एक देखली मनभावन हो सखिया फूटलि किरिनिया पुरुष असमनवा उजर घर आँगन हो सखिया अँखिया के नीरवा भइल खेत सोनवा त खेत भइलें आपन हो सखिया गोसयाँ के लठिया मुरड्या अस तूरली भगवलीं महाजन हो सखिया

16

इमली के बीया

6 November 2023
0
0
0

लइकाई के एक ठे बात मन परेला त एक ओर हँसी आवेला आ दूसरे और मन उदास हो जाला। अब त शायद ई बात कवनी सपना लेखा बुझाय कि गाँवन में जजमानी के अइसन पक्का व्यवस्था रहे कि एक जाति के दूसर जाति से सम्बंध ऊँच-नीच

17

कोजागरी

6 November 2023
0
0
0

भारत के साहित्य में, इतिहास भी पुराणन में, संस्कृति भा धर्म साधना में, कई गो बड़हन लोगन के जनम आ मरण कुआर के पुनवासी के दिन भइल बाटे। कुआर के पुनवासी- शरदपूर्णिमा के ज्योति आ अमृत के मिलल जुलल सरबत कह

18

पकड़ी के पेड़

7 November 2023
0
0
0

हमरे गाँव के पच्छिम ओर एक ठो पकड़ी के पेड़ बा। अब ऊ बुढ़ा गइल बा। ओकर कुछ डारि ठूंठ हो गइल बा, कुछ कटि गइल बा आ ओकर ऊपर के छाल सुखि के दरकि गइल बा। लेकिन आजु से चालीस बरिस पहिले ऊहो जवान रहल। बड़ा भ

19

मिट- गइल-मैदान वाला एगो गाँव

7 November 2023
0
0
0

बरसात के दिन में गाँवे पहुँचे में भारी कवाहट रहे। दू-तीन गो नदी पड़त रही स जे बरसात में उफनि पड़त रही स, कझिया नदी जेकर पाट चौड़ा है, में त आँख के आगे पानिए पानी, अउर नदियन में धार बहुत तेज कि पाँव टि

20

हजारीप्रसाद द्विवेदी

7 November 2023
0
0
0

अपने सभ हमरा के बहुत बड़ाई दिहली जे एह सम्मेलन के सभापति बनवलीं। एह कृपा खातिर हम बहुत आभारी बानी हमार मातृभाषा भोजपुरी जरूर वा बाकिर हम भोजपुरी के कवनो खास सेवा नइखों कइले हम त इहे समझली ह जे अपने सभ

21

भगवतशरण उपाध्याय

7 November 2023
0
0
0

अखिल भारतीय भोजपुरी साहित्य सम्मेलन, सीवान के अधिवेशन के संयोजक कार्य समिति के सदस्य, प्रतिनिधि अउर इहाँ पधारल सभे जन-गन के हाथ जोरि के परनाम करतानी रउआँ जवन अध्यक्ष के ई भारी पद हमरा के देके हमार जस

22

आचार्य विश्वनाथ सिंह

8 November 2023
0
0
0

महामहिम उपराष्ट्रपति जी, माननीय अतिथिगण, स्वागत समिति आ संचालन- समिति के अधिकारी लोग, प्रतिनिधिगण, आ भाई-बहिन सभे जब हमरा के बतावल गइल कि हम अखिल भारतीय भोजपुरी साहित्य सम्मेलन का एह दसवाँ अधिवेशन के

23

नाटक-खण्ड महापंडित राहुल सांकृत्यायन

8 November 2023
0
0
0

जोंक नोहर राउत मुखिया बुझावन महतो किसान : जिमदार के पटवारी सिरतन लाल  हे फिकिरिया मरलस जान साँझ विहान के खरची नइखे मेहरी मारै तान अन्न बिना मोर लड़का रोवै का करिहैं भगवान हे फिकिरिया मरलस जान करज

24

गबरघिचोर

8 November 2023
0
0
0

गलीज : गाँव के एगो परदेसी युवक गड़बड़ी : गाँव के एगो अवारा युवक घिचोर : गलीज बहू से पैदा गड़बड़ी के बेटा पंच : गाँव के मानिन्द आदमी  गलीज बहू : गलीज के पत्नी आ गबरघिचोर के मतारी जल्लाद, समाजी, दर्शक

25

किसान- भगवान

8 November 2023
1
0
0

बाबू दलसिंगार राय बड़ा जुलुमी जमींदार रहलन। ओहू में अंगरेजी पढ़ल- लिखल आ वोकोली पास एगो त करइला अपने तीत दूसरे चढ़ल नीवि पर बाबू साहेब के आपन जिमिदारी जेठ वाली दुपहरिया का सुरुज नियर तपलि रहे। हरी- बंग

26

मछरी

9 November 2023
0
0
0

ताल के पानी में गोड़ लटका के कुंती ढेर देर से बइठल रहे गोड़ के अँगुरिन में पानी के लहर रेसम के डोरा लेखा अझुरा अझुरा जात रहे आ सुपुली में रह-रह के कनकनी उठत रहे, जे गुदगुदी बन के हाड़ में फैल जात रहे।

27

भँड़ेहरि

9 November 2023
0
0
0

रामदत्त के मेहरारू गोरी रोज सवेरे नदी तीरे, जहाँ बान्ह बनावल गइल बा, जूठ बर्तन माँजे आ जाले जब एहर से जाये के मोका मिलेला ओकरा के जरूर देखी ला। अब ओखरा संगे संगे ओकरा बर्तनो के चीन्हि लेले बानी एगो पच

28

रजाई

9 November 2023
0
0
0

आजु कंगाली के दुआरे पर गाँव के लोग फाटि परल वा एइसन तमासा कव्वी नाहीं भइल रहल है। बाति ई बा कि आजु कँगाली के सराध हउवे। बड़ मनई लोगन के घरे कवनो जगि परोजन में गाँव-जवार के लोग आवेला, नात- होत आवेलें,

29

तिरिआ जनम जनि दीहऽ विधाता

9 November 2023
0
0
0

दिदिआ क मरला आजु तीनि दिन हो गइल एह तोनिए दिन में सभ कुछ सहज हो गइल नइखे लागत जइसे घर के कवनो बेकति के मउअति भइल होखे। छोट वहिन दीपितो दिदिआ के जिम्मेदारी सँभारि लेलसि भइआ का चेहरा पर दुख के कवनो चिन्

30

पोसुआ

9 November 2023
0
0
0

दूबि से निकहन चउँरल जगत वाला एगो इनार रहे छोटक राय का दुआर पर। ओकरा पुरुष, थोरिके दूर पर एगो घन बँसवारि रहे। तनिके दक्खिन एगो नीबि के छोट फेंड़ रहे। ओहिजा ऊखि पेरे वाला कल रहे आ दू गो बड़-बड़ चूल्हि दू

31

तिसरका कुल्ला

10 November 2023
0
0
0

एहर तीनतलिया मोड़ से हो के जो गुजरल होखव रउआ सभे त देखले होखब कि मोड़ के ठीक बाद, सड़क के दहिने, एकदिसाहें से सैकड़न बर्हम बाबा लोग बनल बा.... बहम बाबा के बारे में नइखीं जानत ? अरे नाहीं जी, ब्रह्म आ

32

यैन्कियन के देश से बहुरि के

10 November 2023
0
0
0

बहुत साल पहिले एगो किताब पढ़ले रहलीं राहुल सांकृत्यायन जी के 'घुमक्कड़ शास्त्र' जवना में ऊ लिखले रहलन कि अगर हमार बस चलित त हम सबका घुमक्कड़ बना देतीं। 'अथातो घुमक्कड़ जिज्ञासा' से शुरू क के ऊ बतवले र

33

गहमर : एगो बोधिवृक्ष

10 November 2023
1
0
0

केहू केहू कहेला, गहमर एतना बड़हन गाँव एसिया में ना मिली। केह केहू एके खारिजो कइ देला आ कहला दै मदंवा, एसिया क ह ? एतना बड़ा गाँव वर्ल्ड में ना मिली, वर्ल्ड में बड़ गाँव में रहला के आनन्द ओइसही महसूस ह

34

त्रेता के नाव

10 November 2023
0
0
0

आदमी जिनिगी में बेवकूफी के केतने काम कइल करेला, बाकिर रेलगाड़ी में जतरा करत खानी अखवार कीनि के पढ़ल ओह कुल्ही बेवकूफिन के माथ हवे। ओइसे हम एके खूब नीके तरह जानत बानी, तबो मोका दरमोका हमरो से अइसन मू

35

डोण्ट टाक मिडिले-मिडिले

10 November 2023
1
0
0

आगे जवन हम बतावे जात हईं तवन भोजपुरियन बदे ना, हमरा मतिन विदेशियन बदे हौ त केहू कह सकत हौ कि भइया, जब ईहे हो त अंग्रेजी में बतावा, ई भोजपुरी काहे झारत हउअ ? जतावल चाहत हउअ का कि तोके भोजपुरी आवेला

---

एगो किताब पढ़ल जाला

अन्य भाषा के बारे में बतावल गइल बा

english| hindi| assamese| bangla| bhojpuri| bodo| dogri| gujarati| kannada| konkani| maithili| malayalam| marathi| nepali| odia| punjabi| sanskrit| sindhi| tamil| telugu| urdu|