हिन्दी साहित्य के सशक्त हस्ताक्षर जेकर एक सई से अधिका किताब अनेकन विधा में प्रकाशित हो गइल बा आज परिचय के मोहताज नइखन। उहाँ के एगो हिन्दी कविता के भोजपुरी अनुवाद।
मूल : अशोक लव अनुवाद कनक किशोर
लइकियन छुअल चाहेलि सं आकास
लड़कियन छुअल चाहेलि से आकास बाकिर पांखिन पर बान्ह देल गइल बा परंपरा के पत्थर, जे से ओहनी के उड़ान ना भर सक से अउर ना छू सकेली से आकास।
लड़कियन के छोटि छोटि आँखि देखेला बड़-बड़ सपना ओहनी के देखली से आकास के, आँखिये आँख में नापेलि सं ओकर ऊँचाई के
जन्मते परिवार में जगह बनावे खातिर सुरू हो जाला ओहनी के संघर्ष अउर होत जालि सं जइसे जइसे बड़, ओहनी के संघर्षन के संसार बड़ होत चल जाला।
गाँव के लड़कियन करबा - तहसील के लड़कियन नगर महानगर के लड़कियन, लड़कियन त लड़कियन होलि सं ओहनी खातिर बेड़ियन के नाप एके जस नू होला।
लड़कियन मरद के माँद में घुसके ओह लोगिन के ललकारल चाहेलि सं, ओहनी के ओह लोगिन के अँगड़ाई लेत समय के जनावल चाहेलि सं
मरद ओहनी के हर कदम के आगे खींच देलन से लघुमन रेखा, लइकियन जान गइल बाड़ि सं मरद के भीतर बइठल रावण के एह से अपाहिज बन ना रहल चाहेलि सं बन्दी लछुमन रेखा के भीतरे, ओहनी के ओह सब तरह के चक्रव्यूहअन के भेदल सीख ताड़ सं, जेकर भेद समेट रखले रहे मरद लोगिन ।
ओहनी के गाँव के गलियन से लेके संसद के गलियरियन तक के जतरा करे लागल बाड़ि सं, ओहनी के हिया में लहराये लागल बा समुंदर के खुशी के लहर, आन्ही के गति से, जे राहि के सब बाधन के उड़ावे खातिर काफी बा
ओहनी के लड़ल चाहेलि सं एही से पढ़ल चाहेलि सं गाँवन के गलियन से नीकल इस्कूलन के ओरि जा ताड़ सं लड़कियन कतार के कतार रोड पर साइकिल के घंटी बजावत, बसवन में बइटल लड़कियन कतार के कतार लिख ताड़ सं नया इतिहास |
लोकल रेल बस से कवलेज दफ्तरन के ओरि जा ताड़ सं लइकियन,
समय के पांखिन पर सवार होके बढ़ ताड़ से आकास के छुए। ओहनी के सीख लेत बाड़ि सं मरदन के परंपरन के चिथरा चिथरा करे के ओहनी के तय कर लेले बाड़ि सं बदले के मतलब के।
सभ ग्रंथन में रचल लड़कियन के खिलाफ में लिखल गीत के, जेकरा के रचले रहन सं मरद लोग आपन परधानता बनवले रखे खातिर।
लड़कियन अपना खून से लिख ताड़ से नया गीत अपना पसीना के सियाही में डूबाके रच ताड़ सं नया ग्रंथ ओहनी के खूब नाच चुकल बाड़ि सं मरदन के हाथ
के कठपुतरी बन के, मरद लोग कहले रहे- सुतऽ ओहनी के सुत जात रही सं, मरद लोग कहत रहे-झूमऽ ओहनी के झूम जात रही सं अब लड़कियन पकड़ लेले बाड़ सं कठपुतरी तरे नचावत मरदन के हाथ। ओहनी के ऊ लोगिन के इसारा पर ना सुतेली सं ओहनी के मरदन के प्रभुत्व वाली हर जगहन पर लहरावे लागल बाड़ि सं आपन सफलता के झंडा।
गाँव- कस्बन, नगर- महानगर के लड़कियन के इहे बा ललसा,
ओहनी के अब छू लिहन सं आकास ।