लिली मित्रा समय के साधके साहित्य सिरिजन करेवाली रचनाकार हुई। राउर समसामयिक विषयन पर रचल कवितन में पाठक के जोड़े के गजब ताकत रहेला जे पाटकन के भीतर झांकि के सोचे के मजबूर कर देला । लिली मित्रा के दूगो कविता के भोजपुरी अनुवाद |
मूल : लिली मित्रा अनुवाद: कनक किशोर
पियासल
हे मर्दानगी! सुनs! आपन पाखंड के डंटा पर अभिमान भरल अधिकार के परचम के फहरा के, हमार नारीत्व के धरती पर ओकरा के गाड़ि के... आपन जीत के हुंकार मत भरिह... एक बात हरदम इयाद रखिह
हमरा वजूद पर आपन अधिकारन के परचम गाड़ ल तू.... बाकी एगो तय गहराई में पहुंचला के बाद के धरातल खाली हमार ह...3 अउर हमरा रसातल तक पहुंचे के ताकत तोहार एह अभिमान के परचमी डंटा में नइखे...3 काहे कि हमार गहराईयन तक पहुंचे से तोहार मर्दानगी के आकार कम होखे लागी.. तोहार अहम् के ठेस पहुंचे.... ई तू कबो ना चहब... हमरा तक पहुंचे खातिर.... तोहरा आषाढ़ के बारिस बदरी बने के होई...
हमरा के प्रेम से लबालब पानी के बूंदन से सिचे के होखी.... हमरा देह के कठोर बंद रोम छेदन के खोले के होखी... तब जाके केहू तरे... तूं घुस पइब हमरा में...। नेहार पहुंची रसातल तकले .... तब संतुष्ट होखी हमार आत्मा.... तोहार प्रेम के घनघोर प्रवेश करते.... तब जाके संतुष्ट होखी... ई' पियासल' जुगन जुगन के...!
हम खुद से सिंचल, खुद से चलेवाली
मेहरारू हई घर सजाईना संउसे दुनिया सजाईना सजाके राखल हमार आदत ह तितिर बितिर, कोठारियन, आलमारियन टेबुल, ओफिस, फाइल घर बाहर सब के सरिया सकेनी
कवनो जगहा के शांति, सुंदर सजावट हमार मौजूदगी के सबूत होला ।
जतने बा ततने साधनन में अनगिनत आस के पूरा कइल हमार गुण हऽ सबके अँखियन से चोरा के हमार रखल अँखमुंदनी
हमार फिजुल खर्ची ना कइला के प्रतीक ह5 खाली बगली के बहरी निकाल माथ पकड़ के बइठल माथ पर पड़ल परेसानी के लकीर के छुपायत हाथन पर हमेसा हम उम्मीद के खनक एही छुपावल अँखमुदनी से निकाल के रखिना, भले हमके फिजुल खरच करनी कह के हँसी-मजाक के विषय बनवले रहेला।
लइकन अकसर कहेले सं “माई तू घरे ना रहेलू त खाये के मन ना करेला, बाकी तोहरा के देखते हमेशा भूख जाग जाला " ई अनुभव बड़ी सुखदाई होला ! हम भूखो के स्नेह से पकावनी।
जे हमरा मिली हम सब सजा देव, दुख, अनादर, तिरस्कार, दुत्कार सबकुछ अउर एतना बेवस्थित ढंग से संवारब कि देखेवाला सोचलन सं.. अरे वाह! अनोखा ! दुख, वेदना, अनादर, तिरस्कार, दुत्कारो एतना सुन्दर होला!
सुनी! ई हम रउवा के सुनावतानी, ई सब हम अपना से कहतानी,, हम खुद से सिंचिला से चलिना हम खुद से उर्जा पावेनी,,• बस एही से हर बात जइसन रहेला बस बोलके हलुक हो जाईना |