ठाकुर बेलवासे के मूल नेपाली कविता के हिन्दी अनुवाद रामप्रसाद साह, कलैया, बारा, नेपाल कइले बानी प्रस्तुत बा भोजपुरी अनुवाद।
मूल ठाकुर बेलवासे अनुवाद: कनक किशोर
मनकुमारी
पतो ना चलल खुदही लापता जिनिगी के उमंग फेर चहल-पहल
बदरी में छिपल ई सुरमई साँझ खा मनकुमारी आपन उमिर के हिसाब समझे के शुरुआत कइली ह
जवानी के रंगीन दिन मनकुमारी के इयादन में चुभता ओह घरी मनकुमारी के भीतर बवंडर उठ जाता इयादन के सब पन्ना जे मनकुमारी जमा कइले रही एकाएक बिखर जाता आ ऊ एकदम खाली हो जात बाड़ी
होखो भा ना होखो अपना उमिर के बरीस गिनला के बाद मनकुमारी के लागत बा जवानी रहे त5 जिनिगी रहे गालि प5 लाली रहे तऽ
होटन पर हँसी
एकाएक जिनिगी में आवत खालीपन जिनिगी में एतना चलत सीतल बयारो में मनकुमारी के मन के भावत नइखे ओसही बा मन जइसन पाँच बरीस पहिले रहे ओसही तऽ बा ओंठ, आँखि आ कमर के गोलाई बाकिर काहे कइसन खालीपन भरल बा जिनिगी में ऊ लोग जे हमार शरीर के सुघर बतावत ना थाकत रहे कहवाँ गइले बड़-बड़ मनई बड़का भल मरद आ बड़का क्रूर लागे वाला मनई
ठेहुना प माथ रखके ऊ लोग जे किरिया खइलन आजो एह अन्हार कोठरी में गुंजता ढ़ेरका सवाल उठता मनकुमारी के मन में
कतनो हाहाकार मचावत हवा काहे ना होखे कतनो भूख से तिलमिलात उजर घाम काहे ना होखे सब के सब से बारी बारी से घण्टन लड़ला के बाद खिलखिला के हँसत रहली कतना ताकत रहे
ऊ लोगिन के कहत रहली, सबरे उठत रहे के ओह व्यस्त दिनन के इयाद करत रही मनकुमारी
हारके जीत के ढोंग रचे वालन अघाके भूखल रह जाये के ढोंग करे वालन केतने राजनेता, केतने हाकिम ढ़ेरका समाज के ईमानदार नर पिशाच लोग जे एह देहिया के बखान करत कहत रहे तोहार छाती, ई कमर... ओइसने सुघर तोहार चुंबक जइसन दूनो ओंठ एकदम से कसल तोहार... सांचो ! मनकुमारी तोहरा बिना हम मु जाइब कहवाँ गइल होई ऊ मनई हमार मन अबहियो बेयाकुल बा हमरा अबहियो जाने के बा
कि थाक गइल होई ऊ मनई भा ऊ लोगिन के मिल गइल होई हमार बेटी रूपमती ।