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शुभा के कविता

12 November 2023

1 देखल गइल 1

शुभा वरिष्ठ कवयित्री हुई। उहां के कवितन आम आदमी के संवेदना, वंचित- शोषित तवकन के दुख अउर रोष के समेटले रहेले। उहां के कुछ कवितन के भोजपुरी अनुवाद।

मूल शुभा

अनुवाद : कनक किशोर

मातम

मेहररूअन चारो दिशा के बीच में लेके खड़ा बाड़ी सं हवा में एगो झुंड बनाके ओहनी के घेरले।

हम दुनिया में अकेले रही घर सून रहे दिलो सून तह दर तह सन्नाटा रहे।

हमार ओढ़नी खीचल गइल हमार केस आणि में झोंक देल गइल हमार पानी छीन लेल गइल

जइसे नदियन सूखली सं जइसे ग्लेशियर ओरा गइल जइसे लावा ठंडा गइल हम पत्थर हुईं खनिज सहेज के

जइसे धरती के खनिज लूटा गइल हमरो पारा छीन लेल गइल

ओहिजा केहू हमार ना रहे हमार बचवन छीना गइलन सं कोख सहित ओहिजा केहू ना रहे 

हमार मेहनत एगो खतरनाक जानवर चबा गइल ओहिजा केहू ना रहे

हमार नून व्यर्थ भइल, ओहिजा केहू ना रहे हमरा के केहू ना छूवलस हमरा के केहू ना देखलक केहू हमरा से ना बोलल

हम धरती छोड़ दिहनी ओहिजा केहू ना रहे

हम ओहिजा रोअत बानी जहँवा केहू नइखे।

इयान के दुनिया

1 एगो समय पर हमरा खेयाल रहे कि हमरो इयार रहन सं हम ओह दुनिया में रहत रही जवन ओहनी के रहे ऊ लोग बेर-बेर इयाद दिआवत रहे कि हम एगो मेहरारू हुई ऊ लोग बतावत रहे आपन दुनिया के नियम कब-कबो हमरा लागत रहे हम अपना दुनिया में बानी तब ऊ लोग हमरा के माफ कर देते रहे ऊ लोग बढ़िया मालिक रहे

उदार बनके ऊ लोग हमरा के ढ़ेरका छूट देत रहे आ हमरा के बनल रहे देत रहे आपन दुनिया में

बाद में जब हम उनकर जमीन छोड़ल चाहत रहीं

हमरा में उड़े के ढ़ेर तेज

साथ रहे

ई साथ ऊ लोग के बड़ा खुश करे वाला लागत रहे ओह में से केहू -केहू एह साथ पर मुग्ध हो जात रहे अउर ऐकर 

उपयोग कइल चाहत रहे ओह दिनन हम बालू में नहाईल चाहत रही ऊ लोग ना जानत रहे अउर ना जाने का देखत रहे हमरा भीतर कि कबो-कबो दुलार से हँस देत रहे एगो दूरी के साथे ।

2

कबो कबो हमरा इयाद आवेला ओह आदमी के बोली जेकरा बारे में कबो हमार बिचार रहे कि ऊ हमार प्रेमी हS ऊ बोली एगो आदेश लेखा फल देवे वाला होत रहे कबो-कबो ऊ एगो फुसलावे वाली बोली के तरह होत रहे जेकरा ओरि सीधा जानवर मोहित होत रहन सं कबो-कबो ऊ बोली एगो छींटा के तरह होत रहे जे बाद में चमड़ी पर एगो फोड़ा जइसन उभर आवत रहे। 

ऊ कहत रहन हम बराबरी में बिसवास करिला ऊ सभा में बोलावत रहन आ हमरो के बोले के मौका देत रहन जब हम बोलत रही ऊ मोहित होके हमरा के देखत रहन भा सुनत रहन कबो कबो ऊ कहत रहन कि हमार बात उनका समझ में ना आवे अउर बिना तनाव हो जात रहन हमार खोदलका के निसान उसर जमीन पर कम हमार हाथन पर अधिका पड़त रहे हम पानी देत रही उनकर खेतन में ऊ आपन फसल लेकर बाजार में जात रहन हम का लेके जइती बाजार में पानी के साथे हमार मेहनत खरच हो चुकल रहे।

शोक

अभी उमर ना भइल रहे लेकिन ऊ चल गइलन अभी त जीवन सुरूओ ना भइल रहे

उनका गइला पर हमरा महसूस भइल दुनिया छोट हो गइल बा 

अबो पानी ठंढा रहे बाकिर ओतने ठंढा कम हो गइल रहे जेतना ऊ महसूस करत रहन असल में ओतना पानी खतम हो गइल रहे

ओतने दुनिया ओतने झाँकी खतम हो गइल रहे जेतना ऊ देखत रहे

उनकर ना रहल हवा-पानी दुनिया में महसूस कइल जा सकत रहे

इहाँ तक कि भाषा आपन एगो ढब भूला गइल रहे दुख आ खुशी के एक एक लट गायब रहे

हालांकि सब कुछ पहिले जइसन रहे स्थिर एकरस आ हलचल भरल

ऊँच जाति के परिपक सम्मानित मरदन के बीच

ऊँच जाति के परिपक इज्जतदार मरदन के बीच आदमियत के सार पर बात कइल अइसने बा जइसे मुजरा कइल ऐकरा से कहीं बढ़िया वा जंगल में रहल, पत्तियन के खाइल अउर गिरगिटियन से बात कइल 

दुख

दुख हमरा से पहिले से बइटल रहे माई के गर्भ में हमनी एक साधे पैदा भइनी जा ऊ हमरा से बड़ रहे।

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लेख
कनक किशोर की कविताएँ
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कठपुतरी बाग बागिया में बजेल बाँसुरी, अबेरी चढ़ेल पे चढ़ेल बताई। चंदनी रात में, चाँदनी रात में, कईया जुगनु बोलेल छाई। पवन भरे बहुत सुहावनी, देखे लोगन बोलेल कईया लाजाई। भोजपुरी भाषा में रंगीन बोल, कहे बातें बड़ी ताजगी से हमराई। अनूदित भोजपुरी का है रंग, पढ़ेल जब तक, बढ़वाई भाषा की शोभा। उम्मीद है यह किताब भी, बढ़ाएगी भोजपुरी भाषा का प्यारा।
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स्वप्ना मिश्र के कविता

11 November 2023
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आदरणीया स्वप्ना मिश्र समकालीन उड़िया साहित्य में एगो महत्वपूर्ण नाम ह। उनकर कुछ उड़िया कवितन के भोजपुरी अनुवाद प्रस्तुत बा। चयनित कवितन के हिन्दी अनुवाद राधू मिश्र जी कइले बाड़न चयनित कवितन के अनुवाद क

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चिरश्री इंद्रसिंह के कविता

11 November 2023
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चिरश्री इंद्रसिंह समकालीन उड़िया साहित्य में एगो प्रमुख नाम हा उहाँ के कुछ उड़िया कवितन के भोजपुरी अनुवाद प्रस्तुत बा। चयनित कविता के अनुवाद के आशय ओह कविता के प्रति धेयान खींच के मेहरारूअन के मन के द

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निर्मला पुतुल के कविता

11 November 2023
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निर्मला पुतुल आज परिचय के मोहताज नइखी। निर्मला पुतुल नारीवादी आ आदिवासी विमर्श साहित्य के सशक्त हस्ताक्षर हुई। साच कहल जाव तs इनकर कवितन में सच्चाई के आग भरल रहेला जे सुतलो के जगावे आ मुअलो के जियावे

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अशोक लव के कविता

11 November 2023
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हिन्दी साहित्य के सशक्त हस्ताक्षर जेकर एक सई से अधिका किताब अनेकन विधा में प्रकाशित हो गइल बा आज परिचय के मोहताज नइखन। उहाँ के एगो हिन्दी कविता के भोजपुरी अनुवाद। मूल : अशोक लव अनुवाद कनक किशोर लइकि

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नीतू सिंह भदौरिया के कविता

12 November 2023
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नीतू सिंह भदौरिया युवा कवयित्री हई। इनकर लेखनी स्त्री-विमर्श, थर्ड जेंडर, सामाजिक विसंगतियन के आपन कविता के विषय बनावल पसंद करेला वागर्थ में उनकर सामा चकई नाम के कविता आइल रहे, ओही कविता के भोजपुरी अन

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प्रवासिनी महाकुड़ के कविता

12 November 2023
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प्रवासिनी महाकुड़ उड़िया की वरिष्ठ कवयित्री हई जिनका दूनो भाषा में सहज आवाजाही बा स्त्री विमर्श इहां के पसंदीदा विषय ह। एह कविता के हिन्दी अनुवाद कुलजीत जी कइले बानी भोजपुरी अनुवाद सामने बा। मूल प्रव

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बिनोद कुमार राज 'विद्रोही' के कविता

12 November 2023
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बिनोद कुमार राज 'विद्रोही' एगो युवा कवि हवन जेकर केतने संग्रह हमनी बीच आ गइल बा । उनकरा कवितन में माटी के सुगंध के साथे माटी के साथ जी रहल लोगन के समाज के दबल कुचलल लोगन के आवाज मुखर होके बोलत नजर आवे

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सुमन के कविता

12 November 2023
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डॉ. सुमन सिंह के लेखनी हिन्दी आ भोजपुरी दूनो साहित्य के गति दे रहल बा। प्रेम, स्त्री विमर्श आ हँसोड़ व्यंग्य के साथे साहित्य के अनेक विधा में सुमन आपन जोरदार उपस्थिति दर्ज करत तेजी से आगे बढ़ रहल बाड़

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विजया के कविता

12 November 2023
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विजया एगो अहल राउंडर व्यक्तित्व के जानल पहचानल हस्ताक्षर हैं। साहित्य में कविता इहां के कलम के पसंदीदा विधा है। कला आ साहित्य के क्षेत्र में विजया के एगो आपन राह बा। प्रेम आ स्त्री विमर्श पर खुल के कल

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सारिका भूषण के कविता

12 November 2023
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सारिका भूषण के लेखनी हिन्दी साहित्य के विभिन्न विधा में लगातार सृजनशील बा। उहां के कवितन में नारी के मन के भाव के बड़ी बारीकी से परोसल जाला जे पाठकन के मन के भीतर तक छू जाला । उहाँ के कुछ कवितन के भोज

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शुभा के कविता

12 November 2023
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शुभा वरिष्ठ कवयित्री हुई। उहां के कवितन आम आदमी के संवेदना, वंचित- शोषित तवकन के दुख अउर रोष के समेटले रहेले। उहां के कुछ कवितन के भोजपुरी अनुवाद। मूल शुभा अनुवाद : कनक किशोर मातम मेहररूअन चारो दि

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अनिता रश्मि के कविता

12 November 2023
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अनिता रश्मि के लेखनी हिन्दी साहित्य के अनेक विधन जइसे कहानी, उपन्यास, कविता में समान रूप से प्रवाहमान बा। सामाजिक, सांस्कृ तिक भावनन के अपना रचना में एह तरह इहां के रखनी कि रचना पाठकन के आपन अनुभूति ल

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निशा राय के कविता

12 November 2023
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निशा राय एगो युवा कवयित्री हई जे आज हिन्दी आ भोजपुरी दूनो भाषा के एक समान आपन लेखनी से समृद्ध कर रहल बाड़ी कविता प्रस्तुत करे के अंदाज इहां के मंचीय कवियन में एगो अलगे पहचान देले बा । इहां के रचना गाँव

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सरिता अंजनी के कविता

14 November 2023
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सरिता अंजनी 'सरस' युवा कवयित्री हई। इनकर कलम अनवरत स्त्री विमर्श आ सामाजिक समस्या के साथ लोगिन के मानसिक संवेदना पर चल रहल बा। जिनिगी से रूबरू हो जाला पाठक जब इनकर कविता से गुजरला । उहां के एगो कविता

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राजीव राय के कविता

14 November 2023
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राजीव राय भारतीय वन सेवा के सेवानिवृत्त पदाधिकारी हुईं। अपना साहित्यक साधना के रूप में रचनन के माध्यम से इहां के समाज के नया राह देखावे के कोसिस कर रहल बानी उहां के एगो हिन्दी रचना के भोजपुरी अनुवाद।

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सुरेंद्र प्रसाद गिरि के कविता

14 November 2023
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सुरेंद्र प्रसाद गिरि भोजपुरी आ हिन्दी साहित्य के नेपाल के सशक्त हस्ताक्षर हुई। साहित्य के अनेक विधन में इहां के कलम लगातार काम कर रहल बा। उहां के एगो हिन्दी रचना के भोजपुरी अनुवाद | सुरेंद्र प्रसाद ग

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डॉ. मधुबाला सिन्हा के कविता

14 November 2023
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डॉ. मधुबाला सिन्हा हिन्दी भोजपुरी के एगो जानल पहचानल नाम ह, जेकर कलम अनेकन विधा में लगातार आपन उपस्थिति दर्ज करा रहल बा। उहां के कुछ हिन्दी कवितन के भोजपुरी अनुवाद। मूल डॉ. मधुबाला सिन्हा अनुवाद: कनक

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शुभ्रा बनर्जी के कविता

14 November 2023
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शुभ बनर्जी सोसल मीडिया पर आपन हिन्दी कविता के साथ बराबर उपस्थिति रहेली। इनकर प्रतिलेख पर आइल एगो हिन्दी कविता के भोजपुरी अनुवाद। मूल शुप्रा बनर्जी अनुवाद: कनक किशोर चरित्रहीन कवनो मेहरारू अकेलही चर

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ठाकुर बेलवासे के कविता

14 November 2023
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ठाकुर बेलवासे के मूल नेपाली कविता के हिन्दी अनुवाद रामप्रसाद साह, कलैया, बारा, नेपाल कइले बानी प्रस्तुत बा भोजपुरी अनुवाद। मूल ठाकुर बेलवासे अनुवाद: कनक किशोर मनकुमारी पतो ना चलल खुदही लापता जिनिगी

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पुष्पा जमुआर के कविता

14 November 2023
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पुष्पा जमुआर हिन्दी के वरिष्ठ कवयित्री हुई उहां के एगो हिन्दी कविता के भोजपुरी अनुवाद। मूल पुष्पा जमुआर अनुवाद: कनक किशोर : पत्थर रूक तूं राम हमरा के छुइह मत हमरा के पत्थरे बनल रहे 45 जदी रउवा हमरा

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आलोक तिवारी के कविता

14 November 2023
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आलोक तिवारी की लेखनी छंद और छंदमुक्त कविता में एक समान अधिकार राखेला । उहां के एगो हिन्दी कविता के भोजपुरी अनुवाद | मूल : आलोक तिवारी अनुवाद: कनक किशोर बाबा बाबा जंगल जात बानी लकड़ी लेवे दुपहरिया

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एलिजाबेथ ड्रिव स्टोडार्ड के कविता

14 November 2023
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एलिजाबेथ ड्रिउ स्टोडार्ड (1823-1902) अमेरिकी कवयित्री । परंपरा आ नया मूल्यन के बीच तनाव के मनोवैज्ञानिक गहराई के साथ उकेरे वाली स्त्री रचनाकार के एगो रचना के हिन्दी अनुवाद उपमा ऋचा जी कइले बाड़ी, जेकर

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थेरी गाथा से कविता

15 November 2023
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थेरीगाथा ( 600 ई.पू.) ह5 बौद्ध भिक्षुणियन के स्त्री स्वतंत्रता के पहिला घोषणापत्र । थेरी गाथा में प्रौढ़ भिक्षुणियन के आत्म व्यक्तव्य बा आ मेहरारूअन के रचित पहिला काव्य ह। एह में संकलित कवितन में भारत

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थेरी गाथा से कविता

15 November 2023
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थेरी गाथा ( 600 ई.पू.) ह5 बौद्ध भिक्षुणियन के स्त्री स्वतंत्रता के पहिला घोषणापत्रा थेरी गाथा में प्रौढ़ भिक्षुणियन के आत्म व्यक्तव्य बा आ मेहरारूअन के रचित पहिला काव्य ह। एह में संकलित कवितन में भारत

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बिम्मी कुँवर के कविता

15 November 2023
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बिम्मी कुंवर भोजपुरी आ हिन्दी में लगातार आपन जोरदार उपस्थिति दर्ज कर रहल बाड़ी। साहित्य के अनेक विधन में उहां के लेखनी अपना उपस्थिति से ओह विधन के समृद्ध करत तेजी से बढ़ रहल बा उहां के हिन्दी कवितन के

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रेखा ड्रोलिया के कविता

15 November 2023
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रेखा ड्रोलिया के स्त्री-विमर्श के एगो हिन्दी कविता के भोजपुरी अनुवाद | मूल : रेखा ड्रोलिया अनुवाद: कनक किशोर छुअन के चुभन ई छुअलो अलग अलग होला का इस्कूल में रही तब हमरा का पता कबो लइकाई में माईयो

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रूपज्योति सन्दिकोइ के कविता

15 November 2023
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रूपज्योति सन्दिकोइ असमिया भाषा के एगो परिचित कवयित्री हुई। उहां के एगो कविता के भोजपुरी अनुवाद जेकर हिन्दी अनुवाद विष्णु कमल डेका कइले बानी। मूल रूपज्योति सन्धिकोइ अनुवाद: कनक किशोर दहन एकाएक एक दि

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अनुराधा सिंह के कविता

15 November 2023
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अनुराधा सिंह हिन्दी कविता में सशक्त हस्ताक्षर बन के उभरल कवयित्री के नाम ह। वैश्विक सरोकार वाली विषयन पर तेजी से कलम चलावत आपन एगो अलग पहचान साहित्य के दुनिया में तेजी से बना रहल बाड़ी। तिब्बती कवितन प

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डॉ. सांत्वना श्रीकांत के कविता

15 November 2023
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डॉ. सांत्वना श्रीकांत अइसन रचनाकार हई जेकर कवितन में एक ओरि प्रेम के खोज रहेला तऽ दूसरा ओरि मेहरारूअन खातिर एगो नया दुनिया बसावे के सपना रहेला समय के साथ दउड़त आ संबंधन के लेके सजग सांत्वना के कवितन म

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लिली मित्रा के कविता

15 November 2023
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लिली मित्रा समय के साधके साहित्य सिरिजन करेवाली रचनाकार हुई। राउर समसामयिक विषयन पर रचल कवितन में पाठक के जोड़े के गजब ताकत रहेला जे पाटकन के भीतर झांकि के सोचे के मजबूर कर देला । लिली मित्रा के दूगो

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कनक किशोर के कविता

18 November 2023
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झारखंड वन सेवा के सेवानिवृत्त पदाधिकारी भोजपुरी आ हिन्दी लेखन कार्य में समान रूप से जुड़ाव अखिल भारतीय भोजपुरी साहित्य सम्मेलन, पटना के सदस्य। हिन्दी / भोजपुरी के आधा दर्जन पुस्तक प्रकाशित | जोहार भोज

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डॉ. उमाकांत वर्मा के कविता

18 November 2023
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डॉ. उमाकांत वर्मा के एगो नारीवादी रचना रचना स्रोत-पाती सितंबर 1993 अंका पता : हाजीपुर, वैशाली- 844101 अनचिन्हार जंगल के बीच से ससरत, काँपत टेरत हम डँडेर ही जे आँसू बोबाइल आँखि से हर पल दिसा हेरत रह

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डॉ. अक्षय पाण्डेय के कविता

18 November 2023
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डॉ. अक्षय पाण्डेय भोजपुरी नवगीत के क्षेत्र में आपन जोरदार उपस्थिति दर्ज कइले बानी नारी विमर्श पर उहां के दूगो कविता । पता: डॉ. अक्षय पाण्डेय प्रथम मकान, शिवपुरी कालोनी, प्रकाश नगर (फेमिली बाजार के नजद

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अवधेश कुमार चौधरी के गीत

18 November 2023
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पता: ग्राम-इंग्लिशपुर, पोस्ट-महुआर, जिला-भोजपुर ( बिहार ) कोखिए में मार देलू माई कइनी कवने हम कसुरवा कि कोखिए में मार देलू माई मार देलू माई कइनी कवने हम कसुरवा कि कोखिए में मार देलू माई दुनिया ना दे

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हरेराम त्रिपाठी 'चेतन' के कविता

18 November 2023
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अखिल भोजपुरी साहित्य सम्मेलन के वर्तमान अध्यक्ष भोजपुरी आ हिन्दी में लगातार लिख रहल बानी ना संस्कृत के अनुवाद पर इहां के काम मिल के पत्थर के रूप में स्थापित बा। संस्कार आ संस्कृति संरक्षण खातिर आजीवन

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डॉ. स्वर्ण लता के कविता

18 November 2023
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डॉ. स्वर्ण लता भोजपुरी बाल गीत पर शोध कइले बाड़ी। भोजपुरी कविता आ आलेख के रचना लगातार कर रहल बाड़ी उनकर कुछ कविता । पता कृष्णापुरी, चुटिया, राँची, झारखंड हाइकु नारी जीवन परजीवी सदा से ना केहू सुने। ब

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दिनेश पाण्डेय के कविता

18 November 2023
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दिनेश पाण्डेय के भोजपुरी कवितन के स्वाद अजगुत होला। छोट-छोट स्वातन के शब्दन में बाँधि के, पिरो के अइसे राखि देलन कि पाठकन के सोझा वड सामाजिक चित्रण सामने आ जाला । साहित्यिक दृष्टिकोण से उच्च कोटि के क

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एगो किताब पढ़ल जाला

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