शुभा वरिष्ठ कवयित्री हुई। उहां के कवितन आम आदमी के संवेदना, वंचित- शोषित तवकन के दुख अउर रोष के समेटले रहेले। उहां के कुछ कवितन के भोजपुरी अनुवाद।
मूल शुभा
अनुवाद : कनक किशोर
मातम
मेहररूअन चारो दिशा के बीच में लेके खड़ा बाड़ी सं हवा में एगो झुंड बनाके ओहनी के घेरले।
हम दुनिया में अकेले रही घर सून रहे दिलो सून तह दर तह सन्नाटा रहे।
हमार ओढ़नी खीचल गइल हमार केस आणि में झोंक देल गइल हमार पानी छीन लेल गइल
जइसे नदियन सूखली सं जइसे ग्लेशियर ओरा गइल जइसे लावा ठंडा गइल हम पत्थर हुईं खनिज सहेज के
जइसे धरती के खनिज लूटा गइल हमरो पारा छीन लेल गइल
ओहिजा केहू हमार ना रहे हमार बचवन छीना गइलन सं कोख सहित ओहिजा केहू ना रहे
हमार मेहनत एगो खतरनाक जानवर चबा गइल ओहिजा केहू ना रहे
हमार नून व्यर्थ भइल, ओहिजा केहू ना रहे हमरा के केहू ना छूवलस हमरा के केहू ना देखलक केहू हमरा से ना बोलल
हम धरती छोड़ दिहनी ओहिजा केहू ना रहे
हम ओहिजा रोअत बानी जहँवा केहू नइखे।
इयान के दुनिया
1 एगो समय पर हमरा खेयाल रहे कि हमरो इयार रहन सं हम ओह दुनिया में रहत रही जवन ओहनी के रहे ऊ लोग बेर-बेर इयाद दिआवत रहे कि हम एगो मेहरारू हुई ऊ लोग बतावत रहे आपन दुनिया के नियम कब-कबो हमरा लागत रहे हम अपना दुनिया में बानी तब ऊ लोग हमरा के माफ कर देते रहे ऊ लोग बढ़िया मालिक रहे
उदार बनके ऊ लोग हमरा के ढ़ेरका छूट देत रहे आ हमरा के बनल रहे देत रहे आपन दुनिया में
बाद में जब हम उनकर जमीन छोड़ल चाहत रहीं
हमरा में उड़े के ढ़ेर तेज
साथ रहे
ई साथ ऊ लोग के बड़ा खुश करे वाला लागत रहे ओह में से केहू -केहू एह साथ पर मुग्ध हो जात रहे अउर ऐकर
उपयोग कइल चाहत रहे ओह दिनन हम बालू में नहाईल चाहत रही ऊ लोग ना जानत रहे अउर ना जाने का देखत रहे हमरा भीतर कि कबो-कबो दुलार से हँस देत रहे एगो दूरी के साथे ।
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कबो कबो हमरा इयाद आवेला ओह आदमी के बोली जेकरा बारे में कबो हमार बिचार रहे कि ऊ हमार प्रेमी हS ऊ बोली एगो आदेश लेखा फल देवे वाला होत रहे कबो-कबो ऊ एगो फुसलावे वाली बोली के तरह होत रहे जेकरा ओरि सीधा जानवर मोहित होत रहन सं कबो-कबो ऊ बोली एगो छींटा के तरह होत रहे जे बाद में चमड़ी पर एगो फोड़ा जइसन उभर आवत रहे।
ऊ कहत रहन हम बराबरी में बिसवास करिला ऊ सभा में बोलावत रहन आ हमरो के बोले के मौका देत रहन जब हम बोलत रही ऊ मोहित होके हमरा के देखत रहन भा सुनत रहन कबो कबो ऊ कहत रहन कि हमार बात उनका समझ में ना आवे अउर बिना तनाव हो जात रहन हमार खोदलका के निसान उसर जमीन पर कम हमार हाथन पर अधिका पड़त रहे हम पानी देत रही उनकर खेतन में ऊ आपन फसल लेकर बाजार में जात रहन हम का लेके जइती बाजार में पानी के साथे हमार मेहनत खरच हो चुकल रहे।
शोक
अभी उमर ना भइल रहे लेकिन ऊ चल गइलन अभी त जीवन सुरूओ ना भइल रहे
उनका गइला पर हमरा महसूस भइल दुनिया छोट हो गइल बा
अबो पानी ठंढा रहे बाकिर ओतने ठंढा कम हो गइल रहे जेतना ऊ महसूस करत रहन असल में ओतना पानी खतम हो गइल रहे
ओतने दुनिया ओतने झाँकी खतम हो गइल रहे जेतना ऊ देखत रहे
उनकर ना रहल हवा-पानी दुनिया में महसूस कइल जा सकत रहे
इहाँ तक कि भाषा आपन एगो ढब भूला गइल रहे दुख आ खुशी के एक एक लट गायब रहे
हालांकि सब कुछ पहिले जइसन रहे स्थिर एकरस आ हलचल भरल
ऊँच जाति के परिपक सम्मानित मरदन के बीच
ऊँच जाति के परिपक इज्जतदार मरदन के बीच आदमियत के सार पर बात कइल अइसने बा जइसे मुजरा कइल ऐकरा से कहीं बढ़िया वा जंगल में रहल, पत्तियन के खाइल अउर गिरगिटियन से बात कइल
दुख
दुख हमरा से पहिले से बइटल रहे माई के गर्भ में हमनी एक साधे पैदा भइनी जा ऊ हमरा से बड़ रहे।