सुरेंद्र प्रसाद गिरि भोजपुरी आ हिन्दी साहित्य के नेपाल के सशक्त हस्ताक्षर हुई। साहित्य के अनेक विधन में इहां के कलम लगातार काम कर रहल बा। उहां के एगो हिन्दी रचना के भोजपुरी अनुवाद |
सुरेंद्र प्रसाद गिरि देवताल 5, पिप्राढ़ी, बारा, नेपाल।
मूल सुरेंद्र प्रसाद गिरि अनुवाद: कनक किशोर
ओहनी के हिस्सा के धूप
जुग बदल गइल, दुनिया बदल गइल सीता, अहिल्या, द्रोपदी के अपमान के हिरदा बिदारक कहानियन... दुष्टन के जाल में फँसल आज के हजारन लड़कियन... जमाना बदल गइल बाकी मेहरारू...?
आज सिकुड़ल जाता सब गली ओहनी खातिर, पारिवार से ताल-मेल बइठावे में प्रेम आ अपनो के समर्पित कर देला के बादो समाज के चउकठ ठीक तरे ना बइठ पावेला ओहनी खातिर,
सूखल पतईन जस रोज झरेला ओहनी के दिन आपन बाजी पs कबो खरा ना उतरेला ओहनी के दिन पहचान पs क्रूर हथियार लटकल रहेला ओहनी के दिन प आज तक ना पा सकली सं आपन हिस्सा के धूप, जमीन आ आकाश,
खाली पांव सुरुज के जल देत ओकर हाथ नादि में गाय के सानी, दाना खियावत ओकर हाथ घर के रोगियन के दवाई बन जात ओकर हाथ
छोट लइकन के अंगुरी के पकड़ि के डेगा-डेगी चलावत ओकर हाथ तब कहाँ पता रहे हाथ के, आँख में लोर लेले, दुख से भरल सॉसन में बन्हा जाई ओकर हाथ, सिकुड़ जाई ओकर अँगना, आ अपने घर के पता पूछत बीत जाई ओकर सब उमिर...