आदरणीया स्वप्ना मिश्र समकालीन उड़िया साहित्य में एगो महत्वपूर्ण नाम ह। उनकर कुछ उड़िया कवितन के भोजपुरी अनुवाद प्रस्तुत बा। चयनित कवितन के हिन्दी अनुवाद राधू मिश्र जी कइले बाड़न चयनित कवितन के अनुवाद के आशय ओह कवितन के प्रति ध्यान आकर्षित कइल आ नारी मन के व्यथा सामने ले आवल बा अनुवाद के एह प्रयास में अनुवाद के भावानुवाद के करीब रखे के प्रयास कइल गइल बा। भोजपुरी पाठकन के रूचिकर लागे, इहें अभीष्ट बा।
मूल उड़िया स्वप्ना मित्रा अनुवादक: कनक किशोर
बिछिया
पाँव तऽ हमार बाकिर रास्ता तोहार ठोकर ना लाग जाय पाँव में ऐही से पहिरा देनी बिछिया ।
देखा देनी राह जे राह पर चले से टेढ़ ना पड़ी पाँव, राह सीधा आ पाँव सीधा होखला से चाल संतुलित होई अइसन कवनो विधाता तऽ कहले नइखना
तोहरा भरोसा ना रहे बाकिर डर रहे खूब ढ़ेरका एही से पाँव के अंगुरियन में पहिना दिहल बन्धन जेहसे जमीन पर, राह पर चिपकल रहे नजर।
चतुराई से नाम दिहल गहना जवे नजर लड़खड़ाये पाँव ऐने-ओने पड़े लागे सम्हारे में लागल रही मना
एगो छोटीगो बिछिया ना जाने काहे एतना भारी लागेला कि निकाल देवे के मन बेयाकुल हो जाला गलत राह के कईगो अनदेखल सुखन के भोग ना पावे के ई कवनो कपट विधान तऽ ना हSI
एहिसे त गरमी के एह भरल दुपहरिया में दरवाजा उड़का के निकल पड़नी सड़क पर सुननी, कोयल गा रहल बिया देह से निकलत पसीना से तरबतर भइल सुननी, सितार के झंकार माथ के ऊपर दहकत सूरज आकाश के ओरिया नजर उठाके देखनी ओहिजा सैकड़न रंग के महोत्सव।
के महक नाक में घुसल अनजान फूल अद्भुत वा इंद्रियन के ई पुनरजन्म हम भोग लिहनी ओहि घरी आपन मुअल पिछला उमर के सोचनी, गड़हा आ पत्थर से ठोकर खाके अगर पाँव हमार चोटिल हो जाये तऽ नुकसान का बा, का तूं सचहूं अतना चिंतित बाड़ हमरा बूँद भर खून खातिर ?
कहीं हम लौट ना पाई सही रास्ता पर भूला ना जाई घनघोर संसार में गला, मुँह सूख ना जाये
भूखे, पियासे का ओहि खातिर तूं एतना उदास बाड़।
हमरा एहसास हो चुकल बा सांच एह में से कुछुवो नइखे गलत राह पर चले के आनंद तूं खूब जानत बाड़ जानल, एही से ई बंधन हमरा खातिर ठोकर खाके उठे के बाद
खुल जाला नया रास्ता एहीसे हमरा पांव में बिछिया के बेड़ी।
लs देख ल हम खोलतानी ई बेड़ियन के पुरान राह छोड़, नया राह बनाके चले लागल बानी अब बिना बंधन के अपना लेखा।
ई आग से तऽ कुछुवो ना होला
ई आग के लेके हम का करब ई आग से तs कुछुवो ना होला
एगो रोटियो त ना सेंका सकेला अउर एतना कड़ाका के ठंड में
जब कंपकंपात होखे पंजरी तक हथेली कइसे सेंकाई ? रोसनी के फानूसो में उनकर आँखिन परिचय ना करा पावले हमरा के मशाल के करिया आगि माटी के भीतरी जमल आगि के बहाव भला कइसे फोड़ पाई धरती के परत के
जड़ता अउर कटुता के दुधारी तलवार के पजावे खातिर जब हम भट्ठा में गरम करिला ओकरा के जर जाला हमारे हाथ
काल्हुये तऽ ऊ लउटा देलन हमरा के अस्मसान से कहले हमारा भीरी ऊ पवित्रता कहवाँ बा जे आगि दे सके तोहार परिजनन के लाश के
फेर कहलस आपन दुर्दिन के बात कइसे ऊ दिन भर छुपल रहले पत्थर के नीचे अउर रात भर मरल नक्षत्रन के आँखिन से टपकेला
हमरा के जे अब दे रहल बाड़ आग ओकरा के लेके हम करब का ?
सुन, हम खोजतानी ओह आगि के जेकरा साथे हमरा रिसता बा साँसन के पानी आ हवा जइसन जीयत अउर भागत
एह आग में तs मोटहन एगो परत बा अनजान टहरावतिया अँखियन के आन्हर करे खातिर हमरा चाही चुंधियावे वाली रोसनी
मरल में जान फूँके खातिर चाही ऊ मजेदार कुसलता जे हम देखले रही माई के हाथन में चूल्हा जरावत घड़ी गोइठा के चिपरी पर बूँद भर गंधक के रूप में
तबे से हम खोजतानी असली आग के अउर ओकरा मिले तक हमार ई लड़ाई।
हत्यारा
ऊ लोग हमरा करीब आवेला जइसे सट आवेला साँझ के भीरी अँधेरा अउर उजर कागज के भीरी अक्षर
ऊ लोग जानेला जब तक हमरा भीरी दिल बा तब तक रही कविता अउर परेम रही नफरत आ गुस्सा ऊ लोग हमार परेम आ गुस्सा के
लूटल चाहता उजाड़ देल चाहता हमार इयादन के
दुसमन देने के जासूस ह ऊ लोग हमार इयादन के भंडारे ह उनकर खजाना
हमार तजुरबा हमरा के बनवले बा अपराजिता इयादन से मिलल बा संवेदनशीलता
हमार इतिहास हमरा के देले बिया संस्कार हमार दुखे देले बिया लड़े के साहस
जब तक हमरा भीरी बा दिल अउर परेम साहस अउर संवेदना तब तक हम रहब पकिया अडिग आ बलसाली अडिग रही हमार साहस
ऊ लोग हमरा के भूला देल चाहता लुभावेवाली छलावा में समझावेला जुग क्रांति आ समय के माँग
भुलाइल इयादन के गर्भगृह में ले जाके ऊ लोग हमरा के देखावता सोना के सिंहासन
एगो देस, एगो नदी, एगो सहर एह सब के बिना माने के बतावेवालन कइसे ना समझ पावस कुछ फूलवन के सुगंध, नदी के बहाव चित्र से भरल अकास, हरियर खेत- बधार पुरान परेम चिट्ठी के अक्षर अउर माँगल, बिन माँगल मिलल दुखे साबुत बा, सबसे सुंदर चित्र बा जीवित होखे के
ऊ लोग चाहेला, हम ई सब भूला जाईं बाकिर इयादन के हत्या त सबुत के हत्या हऽ हमार इयादन के मिटा के ऊ लोग लूट लेल चाहता हमार परेम आ गुस्सा के हमार दिल आ कविता के अउर हमरा के बदल देल चाहता एगो पत्थर में |