पुष्पा जमुआर हिन्दी के वरिष्ठ कवयित्री हुई उहां के एगो हिन्दी कविता के भोजपुरी अनुवाद।
मूल पुष्पा जमुआर अनुवाद: कनक किशोर :
पत्थर
रूक तूं राम हमरा के छुइह मत हमरा के पत्थरे बनल रहे 45 जदी रउवा हमरा के छू देब तब हम फेर से मेहरारू बन जाइब हमरा सुन्दरता पर मोहित होके फेर कवनो इन्द्र आ जइहन अउर करिहन हमार सील भंग फेर कलंकित हो जाइब फेर पति के जिभवा से शापन के बारिस होखी हम फेर पत्थर बन जाइब का तू फेर राम रूप में अइब ? का हमरा के ठुके मेहरारू बनइब ?
ओह जुग हम मेहरारू हई पत्थर ना मरदन खातिर तऽ हम पत्थरे रही जब मन करे छुके मेहरारू बना देलक जब मन करे शापित कर पत्थर बना देलक में जिये के हक छीन लेलक एह जुग में हमरा के जियत रहे द हम पत्थर के मेहरारू हईं दुनिया से हमरा के टकराये द सुनऽ राम तोहार जरूरत नइखे हमरा के आपन लड़ाई लड़े द...