डॉ. सुमन सिंह के लेखनी हिन्दी आ भोजपुरी दूनो साहित्य के गति दे रहल बा। प्रेम, स्त्री विमर्श आ हँसोड़ व्यंग्य के साथे साहित्य के अनेक विधा में सुमन आपन जोरदार उपस्थिति दर्ज करत तेजी से आगे बढ़ रहल बाड़ी । उहां के एगो हिन्दी रचना के भोजपुरी अनुवाद।
मूल सुमन अनुवाद : कनक किशोर
सुनऽ लइकी
सुनs लड़की ढेर हो गइल घुट-घुट के अन्हार में रोअल असुअन से तन-मन भिगावल चल उतार दऽ चेहरा से ई कहे भर के आदरसन के रंगरोगन
ई लोग लवटा के ना ला सकी तोहार देह के सुधरई चेहरा के मोहकता, तोहार अँखियन के मादकता तोहार जवानी के अल्हड़पन
ई लोग कबो ना लवटा पाई तोहार जिनिगी के बेहिसाब घरी जेकरा में तू खिलखिला के हँसल चाहत रहू तितलियन के पाछे भागल चाहत रहू बहइयन के फैला झूम-झूम नाचल चाहत रहू
ई लोग भर दिही तोहरा के अझुरहट से तोहार आत्मा पर लाद दिहन से पवित्रता के भार तोहार ओटवन प लगा दिहन से लाज के सिकड़ी
तोहार अँखियन प बाँध दिहन से सरम के परदा आखिर में
लहूलुहान होखे खातिर ढ़केलि दिहन से बउराइल भीड़ में
भीड़ नोची, खसोटी, लूटी तबो जदी मन ना भरी तs लिही अग्निपरीक्षा बांच लड़की एगो अउर वैदेही बने से
देख एह सजल थजल कफन बँधल लासन के जे कबो तोहरे जस जीवित रहलि सं अब एहनी के फूँक चाहे फेंक आव कवनो नदी नाला में कवनो अन्तर नइखे पड़े के
बूझ एहनी आ अपना बीच के भेद लास ना हउ तूं, तोहरा अन्तर पड़ेला सपनन के टूटे से, चाह के दरके से
सुनSI समेट लs आपन जिनिगी के अँखियन में थोडिका सा कोमल, सुनर, चंचल सपनन के कि जीये के बा तोहरा मु जाये के पहिले।