सारिका भूषण के लेखनी हिन्दी साहित्य के विभिन्न विधा में लगातार सृजनशील बा। उहां के कवितन में नारी के मन के भाव के बड़ी बारीकी से परोसल जाला जे पाठकन के मन के भीतर तक छू जाला । उहाँ के कुछ कवितन के भोजपुरी अनुवाद।
मूल सारिका भूषण अनुवाद: कनक किशोर
मेहरारू के सिवाना
तोहार सिवाना ओहिजे तक नइखे जे तोहरा के दुनिया देखावता तोहार सिवाना ओहिजो नइखे जे तूं चउखट के भीतर देखेलू तूं तऽ मेहरारू हऊ तोहरा बहियन में तऽ समुंदर बा अउर तोहार सिवाना तऽ ओह अनंत के पार ले बा जे तूं धरती के एक छोरि से अनंत आकाश के ओरि ले देखे ।
अलगनी
अलगनी पड हमार कुछ सपना टँगल बा तू तनि बचके चलिह कहीं तोहरा चोट ना लाग जाये काहे कि एगो मेहरारू के सपना बड़ा बरियार होला।
हमरा भीतर के मेहरारू
हम ना लिखेली मेहरारूअन के हमरा भीतर के मेहरारू लिखेले हमरा के, हम ना भरेनी डायरियन के हमार डायरी भर देले हमार खालीपन ।
कामकाजी मेहरारू
जब साँझ होखेला हर रोज ओकरा जिनिगी में, उतार देले आपन लिबास घर के चउखट के बहरी आ पहिर लेले एगो नया लिबास काहे कि तबे जीवित रह सकेले कामकाजी मेहरारू
सहे के ताकत
ना चाही अइसन कवनो देवी जस गुण
जे देवी के दरजा देवे बाकिर जीवन ना
ना चाही अइसन कवनो जाति वाला गुण जे जिनिगी देवे बाकिर साँस ना।
हम मेहरारू हई कवनो गुण के शब्दकोस भा विश्वकोष ना जहाँ तोहार हर सवालन के मौन जबाब मिलत रहे।
मेहरारू
तूं उड़ उड़े खातिर कोसिस कर तोहार सिवाना समुंदर जइसन अनंत होखे तोहार सोच वर गाछ जस विराट होखे
आधा-अधूरा ना आँचर में पूरा आसमान होखे ।
तूं लड़ लड़े खातिर कोसिस कर तोहार रहन-सहन आड़े ना आवे
तोहार मन के सोच ताकत बन जाये श्रद्धा अउर संस्कारे अक्षय सक्ति के भंडार बन जाये।
तू रच रचे के कोसिस कर तोहार अनवरत बहाव तोहरा के गतिमान रखे तोहार पुखता बिसवास सृष्टि के मान रखे एह क्षणभंगुर जिनिगी में ना मिटे वाला तोहार पहचान रखे।