अखिल भोजपुरी साहित्य सम्मेलन के वर्तमान अध्यक्ष भोजपुरी आ हिन्दी में लगातार लिख रहल बानी ना संस्कृत के अनुवाद पर इहां के काम मिल के पत्थर के रूप में स्थापित बा। संस्कार आ संस्कृति संरक्षण खातिर आजीवन समर्पित आचार्य चेतन जी के एगो कविता ।
नारी
कतना बार कुरेदल-खोंचल, मधिम आँच अस हम नारी। सइ सइ तह अन्हार में ऊगल, खिलल फूल जस हम नारी ।। खंजन अस नयना, बाकिर, करिया पुतरी में घाव टभका मुसुकी मोहक ऊपर-ऊपर, दर्द ओठ में दबल - छिपल।। खुसुर-फुसुर कतना झेलनी, हम पिसा उमिरि के सिलवट पर चिपकि-चिपकि खजुराहो के, तन के सरमाइल छटपट पर।।