विधाता, दुखवा ना कहले कहाता। सन् सैंतालिस में मिलल अजदिया, अतने तरक्की कि वढ़ल अवदिया,
सगरे अन्हरिया के चद्दर तनाता । साहेब बदलि गइलें, कुर्सी ना बदलल, संसद में अवो विछावल वा मखमल, हाकिम के कुकुरो के रोब बढ़ल जाता।
नेता जी खादी के कुरूता सिआवसु रात में शराब अउर मुरूगा उड़ावसु दुअरा प' कुकुर बेलायती बन्हाता ।
रोज-रोज ओट होखे, रोज-रोज भासन, लूट-मार बढ़ल जाता, कइसन ई शासन, रेडियो प गितिया विकास के गवाता।
बँटवा-गहुँमवा से महँगा खेसारी सरिस्मे के तेलवा से भइल महामारी पाँच रुपये बोतल किरासन बिकाता।
रोज-रोज बढ़ल जाता टैक्स आ लगनवा भइलें बेहाल मजदूर आ किसनवा सेठजी के छंवड़ा के मोटर किनाता।
रूस आ अमेरिका से दोस्ती गंठाइल, दूनो के पेटवा में देसवा जंताइल काम होता कम, बहुत पोस्टर टंगाता।
रोज-रोज गाड़ी लड़े, गिरे जहजिया मंत्री जी करेलन, तबो चुहलबजिया