परल अकलवा, बेहाल भइल मनवां, झुराई गइल ना, सालभर के सपनवां, झुराई गइल ना।
खेतवा में धनवां के बियवा गिरवनीं सरग के आसरा प थतियो गँववनी वरिसल ना अदरा, विलाइ गइल बदरा, बुताई गइल ना, खरीहान के दिअनवां, बुताई गइल ना।
तलवा-तलइया में जामि गइल घसिया तलफत धरती, ना मिटल पिअसिया हमनीं के पनियां, गइल रजधनियाँ, फुलाई गइल ना, उन्हुकर महल बगनवाँ फुलाई गइल ना।
गंउआ में खोजलो प मिले ना मजूरिया देखीं समे फूलत-फरत जी-हजूरिया केकर अजदिया, केकर बरबदिया, सुखाई गइल ना, कचनार के बदनवां, सुखाई गइल ना।
मंगला प रोजी-रोटी मिलत बा गोलिया काढ़त करेज विया देखऽ मिठ बोलिया जुलुमी ससनवां, ऊपर बा मखनवां गिराई गइल ना, देखऽ हमरो मकनवां, गिराई गइल ना।
मंगला प मिली ना जिनिगिया के भीखिया आगे बढ़ि, अपने बनावे के बा लीखिया हमरे अनजवा, दोसर करे रजवा, बुझाई गइल ना, अनंआय के करनवां वुझाई गइल ना।