संउसे देसवा मजूर, रउआ काम लिहीं जी, रउआ नेता हई, हमरो सलाम लिहीं जी।
रउआ गद्दावाली कुरूसी प बइठल रहीं, जनता भेड़-बकरी ह, ओकर चाम लिहीं जी।
रउआ पटना भा दिल्ली में बिरजले रहीं, केहू मरे, रउआ रामजी के नाम लिहीं जी।
चाहे महंगी बढ़े, चाहे लड़े रेलिया रउआ होटल में छोकरिअन से जाम लिहीं जी।
केहू कुछुओ कहे त मंहटिअवले रहीं, रउआ पिछली दुअरिया से दाम लिहीं जी।
ई ह गांधी जी के देस, रउआ होई ना कलेस, केहू कांपता त कापे, रऊआ घाम लिहीं जी।