चली नाहीं जुलुमी ससनवां, जबनवां के टूटी अब ताला। सहर बजार जागल, जागल बधरिया जागि गइल अमवा महुइया, रहरिया तरनाइल सभकर बदनवां, जबनवां के टूटी अब ताला।
चिरंइन के ठोरवा भइल हथियरवा वैला-बछरुआ, तूरावेला सिकरवा तलफल देखऽ मैदनवां, जवनवां के टूटी अब ताला।
खूनवा से लाल भइल नदियन के पनिया राइफल बनूकिया प ठाढ़ रजधनिया देसवा भइल जेहलखनवां, जवनवां के टूटी अब ताला।
कलम चलावेवाला, जज बलिस्टरवा
सभके बुझाये लागल बढ़त खतरवा सगरे सुनाता गरजनवां, जबनवां के टूटी अब ताला। लड़ऽता सिपहियन से सेना के जवनवां सगरे तबाही मचल, कतो ना सरनवां गूंजऽता आजादी के तरनवां, जवनवां के टूटी अब ताला। जनता जुझारू भइल लहकल अगिया
कतना जवान होइ गइलन वगिया लाल भइल खेतवा-खदनवां, जबनवां के टूटी अब ताला। चली नाहीं जुलुमी ससनवां, जवनवां के टूटी अब ताला।