हम किसान के बेटा, धरती मइया हई हमार, हँसुआ-खुरपी, हल-कुदाल हउए हमार हथियार। चिरंइन के बोले के पहिले हम खटिया छोड़ी ला अपना माल-मवेसिन से हरदम नाता जोड़ी ला, बैल हमार हवन स बाजू, बछवा ह पतवार । खून-पसीना में अब ले हम फरक कबो न कइनीं जाड़ा-गरमी-बरखा के सभ मार हमेसा सहनीं चान-सुरूज, बादर-बिजुली, हउए हमार संसार, भरल जवानी में हम आपन खेत अगोरत रहनीं घाव करेजा के जब टभकल मेहरि से ना कहनीं एह जनम में ना जनलीं, रसदार बात-बेवहार, हम किसान के बेटा, धरती मइया हई हमार।