जागऽ, जागऽ तू अबो मजूर भइया। तोहरे बनावल ह कल-करखनवां तूं ही निकाले लऽ माटी से अनवां तोहरे प सभके गुमान भइया।
राजमहल-ताजमहल तोहरे बनावल मीना बजरवा ह तोहरे सजावल मेहनत करेलऽ भरपूर भइया।
तोहरे लइकवा बनेला सिपहिया देसवा के खातिर गंवावेला देहिया धरती के हवऽ तू नूर भइया।
अतना खटनी प इहे त हाल बा मुअला प कफन के पइसा मोहाल वा कइलऽ तू कवन कसूर भइया । भाग के भरोसा प आजुले बइठलऽ दोसरा के मरजी प मोंछि तू अंइठलऽ इहे बा तोहरो कसूर भइया।
अवो से मिलि-जुलि के डेग तू बढ़ावऽ सभके कुरवानी के पाठ तू पढ़ावऽ जुलुमिन के करऽ मजदूर भइया। जागड, जागऽ तू अवो मजूर भइया।