बदलीं जा देसवा के खाका, बलमु लेइ ललका पताका हो। खुरपी आ हंसुआ से कइनीं इआरी जिनगी भर सुनलीं मलिकवा के गारी कवले बने के मुँह ताका, बलमु लेइ ललका पताका हो।
ना चाहीं हमरा के कोठा-अंटारी ना चाहीं मखमल आ सिलिक के साड़ी वन करऽ दिल्ली के नाका, बलमु लेइ ललका पताका हो।
राजा आ रानी के उड़े जहजिया हमनीं के केहू ना सुने अरजिया, जाम करऽ सासन के चाका, बलमु लेइ ललका पताका हो।
तू वनिजा सूरज हम बनि जाइब लाली तू वनिजा झरना, हम वनवि हरियाली, पंजा प फेंकी जा छाका, बलमु लेइ ललका पताका हो। बदलीं जा देसवा के खाका, वलमु लेइ ललका पताका हो।