हम तो से पूछीला जुलुमी सिपहिया, बतादे हमके ना काहे गोलिया चलवले वतादे हमके ना।
हमरो बलमुआ न चोर-बटमारवा जांगर ठेठाइ आपन पाले परिवरवा केकरा हुकुमवा से खूनवा बहवले, बता दे हमके ना, काहे खूनवा बहवले, बतादे हमके ना।
मरि-मरि खेतवा में अन्न उपजवनीं, जिनिगी में बनल रहनीं तबो हम पवनी कवना कनूनिया से अगिया लगवले, बतादे हमके ना काहे अगिया लगवले, बतादे हमके ना।
अब बरदास नइखे होत फजीहतिया तोहरो अजदिया, हमार भइल रतिया अपने मतरिया प तनले बनूकिया, बतादे हमके ना
काहे तनले बनूकिया बतादे हमके ना। हम तो से पूछीला जुलुमी सिपहिया, बतादे हमके ना काहे गोलिया चलवले, बतादे हमके ना।
सुनऽ हो मजूर, सुनऽ हो किसान सुनऽ मजलूम, सुनऽ नौजवान मोरचा बनाव बरियार कि सुरु भइल लमहर लड़इया हो एक ओर राजा-रानी, सेठ-साहूकरवा पुलिस-मलेटरी अउर जमींदरवा दोसरा तरफ भूमिहीन बनिहरवा खेतवा-खदनवां के करे जे सिंगरवा हो जा भइया तूहूँ, अब तैयार कि सुरू भइल लमहर लड़इया हो खेतवा में खटलऽ, बघरिया अगोरलऽ जिनिगी में मालिके के घरवा संगोरलऽ टभकत घउआ के कवहूं न फोरलऽ बोरसी के अगिया के अवले ना खोरलऽ उठऽ बहल पुरवा बेआरऽ कि सुरू भइल लमहर लड़इया हो तोहरे लइकवा बनावेला बनूकबा तोहरे कमइया से भरेला सनूकवा ढरकल रतिया, उगल देखऽ सूकवा जरि जइहें जुलुमी, तू मारऽ तनी फूँकवा उमड़ल जनता के धारऽ... कि सुरू भइल लमहर लड़इया हो रनिया करेले रजधनिया में खेलवा समराजवदिअन से कइलसि मेलवा जनता के पेरिके निकाले रोज तेलवा मुँह खोलि दिहला प मिलत वा जेलवा निकसल ललका गोहारऽ... कि सुरू भइल लमहर लड़इया हो मोरचा बनाव वरियारऽ... कि सुरू भइल लमहर लड़इया हो सुनऽ हो मजूर सुनऽ हो किसान सुनऽ मजलूम, सुनऽ नौजवान मोरचा बनाव बरियार... कि सुरू भइल लमहर लड़इया हो।