[एगो कलाकार के मौत के बाद लिखाइल गीत ]
काहे आजु धरती बिलाप करे हो, होला केकर तलास? काहे कुम्हिलाइ गइल फुलवा हो, काहे तितिली उदास ? मनवा ना लागे कवनो कामवा हो, काहे विलखे बतास? कवना पिंजरवा के चिरई हो, घइ लिहलस अकास?
सुनऽ सुनऽ गउआ के लोगवा हो, सुनऽ लड़का सेआन, सुनि लेहू बहिनी मतरिया हो, सुनऽ चतुर नदान, पिंजरा के सुगना हिरामन हो, घइ लिहलस अकास, ओकरे वियोग के कचोटवा हो, सभे भइल उदास,
सहर बजार गली-अँगना में, जेकर पिहिकत बोल, गलवा में जेकरा शहद रहे हो, जेकर सुर अनमोल, उहे मोर सुगना हिरामन हो, छोड़ि हमनीं के साथ, चलि गइल मोरंग देसवा हो, टूटल गीतियन के हाथ,
एही से विलाप करे धरती हो, सभकर जियरा बेहाल, बड़ नाहीं होखेला अदिमियां हो, बड़ सभके से काल, कलवा के गलवा में जाई हो, बूढ़ बूढ़ लड़का लड़ जवान, केहू नाहीं पिअले बा अमरित हो बांची केहू के ना जान,
रहि जइहें सभके कीरितिया हो, ओह के खइहें ना काल केहू से ना मिटिकी कीरितिया हो, ऊ त हउए मशाल, सुगना त घइलस अकसवा हो, बाकिर जियत बा बोल, गावत बा आजु ओकर गीतिया हो इतिहसवा भूगोल,
सुनऽ सुनऽ सुनऽ मोरे सथिया हो, सुनऽ गउआ के लोग, कविता आ कला के जमीनियाँ के नाहीं लागे कवनो रोग, जवना मुलुक में ना कविता हो, नाहीं कला के अड़ान निअराई जाला ओकर दिनवाँ हो, ओहिजा होला ना बिहान ।