हमनी के हईं नचनिया-बजनिया ना बडुए घरवा, ना वा दुअरवा हमनीं के पेटवे बडुए पहड़वा
नन्हीं-मुटी हमनीं के बडुए कहनियां जहां होला संझिया, ओहिजे बिहनवा ना खोजीं ओढ़ना, नाहीं बिछनवा अमरित अस लागेला हमनीं के पनिया
महल अटारी से ना कवनो नाता ना केहू बडुए हमनीं के दाता एने ओने घूमे में बीतल जवनिया जे केहू बूझे अपना के मरदा, हमनीं के संगे फांके ऊ गरदा तबे बुझाई कि कइसन ई दुनिया