झर-झर-झर झहर झहर झंउसल बघरिया में बरिसत बा बरखा के पानी केकरा दो जादू से संउसे अकसवा में रूई के फाहा उघियाता छने-छने सगरे सरगवा में अपने से बिजुरी के दीया बराता पीपर पलासन के हियरा अगराइ रहल
धरती के रूप के बखानी जनमतुआ लइकन अस खेत के कियारिन में लोटि रहल घास अउर-पाता नया-नया बिअहल बिटुइन के कनखी अस जहां-तहां धान अंखुआता दिने-दुपहरिया में, कुच-कुच अन्हरिया में आजु कटत सगरे बा चानी खेत के किआरिन में दुनुर-दुनुर दुन-दुन-दुन बैलन के घंटी सुनाता
पाछा से कजरी के तान मधुर सुनि-सुनि के हिवरा के तार झनझनाता बइठल अंगनइया में, कवनो बिरहिनिया के फफसत वा जांतल जवानी वरिसत वा वरखा के पानी।