लाली हम भोर के गीत हम अँजोर के।
हम शहीद के बाजू खून हम जवान के हम किसान के सीना फेंड़ हम सिवान के पांखि हई सतरंगी जंगल के मोर के ।
कविरा के साखी हम प्रेमचंद के कहानी टूटे ना अंधड़ में हम हई उहे टहनीं पिअनी हम जहर बहुत पानी में घोर के।
माटी हम गवई के जेठ के पसेना हम बिजुरी के दुनिया में तरकुल के बेना हम बेमिसाल मौसम हम आगि के, झकोर के।
चान हम अन्हरिया के तीर आदिवासी के तांत हई धुनकी के धार हम गँड़ासी के चिनगारी जंगल के लाठी हम लोर के।