अवना करवि हम गुलमिया तोहार -
भले भेजऽ जेहलिया 'हो सगरे छिंटाइल बा हमरे कमीनी, हमहीं कमाई, हमहीं अव कीनी, उड़ल हवा में झोपड़िया हमार-
हँसे तोहरो महलिया हो हमहीं निकालीला सोना आ चानी, हमरे पसेनवा प टिकल रजधानी, हम भइनी गंगा के ढहल कगार-
करत तोहरो टहलिया हो तोहरा लइकवा के मोटर आ गाड़ी हमरा लइकवा के खांची-कुदारी, अबना सहवि हम जुलुमवा तोहार -
सुनऽ हमरो कहलिया हो पुलिस मलेटरी के गांवे बोलाके दागेलऽ गोली तू सभके पोल्हा के, कवले चली ई वनूकिया तोहार - लहके लागल गलिया हो
देखऽ सिवान के फेंड़ सुगबुगाइल पुरुव में सूरूज के लाली छितराइल गंगा अस उमड़ल बा जनता के धार-
डूवि जाई महलिया हो अवना करवि हम गुलमिया तोहार -
भले भेजऽ जेहलिया हो।