रउरा सासन के ना बडुए जवाब भाईजी, रउरा कुरूसी से झरेला गुलाब भाईजी
रउआ भोंभा लेके सगरे अंवज करीला, हमरा मुंहवा प डलले बानीं जाब भाईजी
हमरा झोपड़ी में मटियो के तेल नइखे, रउरा कोठिया में बरे मेहराब भाईजी
राउर छंवड़ा त पढ़ेला बेलाइत जाइ के हमरा छंवड़ा के मिले ना किताब भाईजी
रउरा बुढ़िया के गलवा प क्रीम लागेला, हमरा नयकी के जरि गइल ख्वाब भाईजी
रउरा कनखी प थाना अउर जेहल नाचेला, हमरा मुअलो प होला ना हिसाब भाईजी
चाहे दंगा करवाई, चाहे गोली चलवाई, 'देसभक्तवा' के मिलल बा खिताब भाईजी
ई ह कइसन लोकसाही, लड़े जनता से सिपाही, केहू मरे, केहू ढारेला सराब भाईजी
अव ना सहव अत्याचार, बनी हमरो सरकार, नाहीं सहब अव राउर कवनो दाब भाईजी
चाहे हथकड़ी लगाई, चाहे गोली से उड़ाई, हम त पढ़व अव ललकी किताब भाईजी।