तोहरा खातिर बसंत आ गइल, हमरा मन के दिया बुता गइल।
तोहरा गालन प बा फूल खिलल ओठ लाल टेसू अस हो गइल कंगन नीयन खनकत तरूनाई मक्खन अस चीकन बा देह भइल
हम पिसान खातिर छिछिआईला, जिनिगी के साध सब धुआं गइल।
तू नीलम देस के परी एगो तोहरा खातिर महल-अंटारी बा चाभुक बनि हांकेलू देस तुहीं आंखिन में बीस गो कटारी बा,
हम तलफल रेत हईं गरमी के घर हमार कब दो उड़िया गइल।
तू हऊ बनूक तनल सेना के चान सुरूज के जेहल दे देलू रात हऊ बउराइल फागुन के अंचरा में देस के समेटेलू
हम दियरी के टेम्हीं हो गइनीं फागुन हमरा से सरमा गइल।