दुर्गा माई आईं तनिं, देरी रउरा करी जनिं, कोरोना का कोप से देश के बचाई।
घर में बा लोग बंद, अकिल भइल मंद, सुन-सुन समाचार आवत बाटे झाँई ।
रूप विकराल करी, खप्पर तलवार धरी, वायरस काटि-काटि दाँत से चबाई ।
हनि हनि मारी तीर, भारत के हरिं पीड़, 'भूषण' बालकवा के विपति मिटाई ।