हे हनुमान दया तनिए-सा कर दीं, मुरिया पर हाथ आपन एक बेर घर दीं।
अतुलित बल के धाम रउरा जग में कहाइले । श्री सीताराम जी के हिया में बसाइले ।। सुखवा के साज हमरा जिनगी में भर दीं। हे हनुमान दया तनिए सा कर दीं ।।
रोम-रोम से गाई रउरा रामजी का गुण के । दानव-दल के दल देनीं एक-एक चुनके ।। दुखिया के दुख देखि राम के खबर दीं । हे हनुमान दया तनिए-सा कर दीं ।।
ज्ञानियों में ज्ञानी कहले रउरा के तुलसी । पढ़-पढ़ मानस हमार हिया गइल हुलसी ।। दया कइनी तुलसी पर, हमरो पर कर दीं।
हे हनुमान दया तनिए-सा कर दीं ।।
बार-बार करऽतानी रउरे पुकार । कोरोना के दूर फेकी, जड़ से उखाड़ ।। 'भूषण' दुख-दुखिया के गदा से रगड़ दीं। हे हनुमान दया तनिए-सा कर दी ।।