आई हनुमान देखीं दशा हिन्दुस्तान के । मारऽताटे कोरोना निर्दोष इन्सान के ।।
बेसी परेशान भइले देश के मजूर, बड़ी दूर । गइले कमाय अपना घर से लौटऽतारे पैदल थैला, पीठ पर तान के ।। आई...।।
बंद बाटे लोग सब अपना-अपना घर में, अक-बक बन्द लोग पड़ल बाटे डर में । चिंता बनल बाटे सबका अपना-अपना प्राण के ।। आई...।।
दुनिया के देश जेकर रलऽ बड़ धाक, ओहू लोके कइले बा ई कोरोना अवाक् । नइखे अब कोरोना इ ओहू लो का मान के ।। आईं...।।
'भूषण' हनुमान सुनीं विनती गरीब के, जल्दी सुधार दिहीं देश का नसीब के । अपने मिटाई दिहीं दुख का निशान के ।। आई...।।