हनुमत सबका विपतिया के नाश करेलऽ । काहे हमरा बेरि मनवाँ उदास करेलऽ ।।
दीन होके तोहरा के जे केहू पुकारेला, आवेलऽ तू दउरल ओकर बिगड़ल सँवारेला । राम के बोलाके ओकरा पास करेलऽ ।। काहें.....।।
नइखे कवनो काम कपि तोहरा खातिर भारी, हमरा बेरि काहे तू देखोवलऽ लाचारी । कपटी कालनेमि के पर्दाफास करेलऽ ।। काहे.....।1
नाहीं होलऽ बूढ़ कहियो होलऽ ना लाचार, कान्ह पर उटावेलऽ तू रामजी के भार । संकट का पहाड़ के तू घास करेलऽ ।। काहें.....।।
'भूषण' कवि के बाटे भँवर में नइया, तोहरा बिना दोसर के बा समरथ खेवड्या । सुनेलऽ ना काहे उपहास करेलऽ ।। काहें.....।।