छोड़ऽ-छोड़ऽ छोड़ऽ मन झूठ के झमेला । दुनिया से जइबऽ तू एक दिन अकेला ।।
थोड़े दिन रहे के बा ढ़ेर दिन बीतल, राम नाम जपके तू मन करऽ सीतल । लेके नाहीं जइबऽ तू माटियो के ढ़ेला ।। छोड़ऽ छोड़ऽ...।।
रात-दिन रचेलऽ तू बहुते फरेब, एक दिन कटऽ जाई अचके में जेब । केहू नाहीं मिली तब अँसुआ पोछेला ।। छोड़ऽ छोड़ ऽ...।।
राम का भजनियाँ में अबहूँ से लागऽ, बहुत दिन सुतलऽ तू अबहूँ से जागऽ । छोड़ द तू अबहूँ से अटपट खेला ।। छोड़ऽ छोड़ ऽ...।।
'भूषण' भगवान् से तू नेहिया लगावऽ, रोज-रोज नया-नया भजन बनावऽ । एक दिन बन जइब कवि अलबेला ।। छोड़ऽ छोड़ऽ...।।