वीर हनुमान सुनीं विनती गरीब के । रामजी के सेवक हई रउरा करीब के ।।
दुखिया के दुख रउरा राम के सुनाइले, लाके श्रीराम जी के छन में मिलाइले । तुड़ताड़ फेक दिले दुख का जरीब के ।। वीर हनुमान...।।
चारो ओर से घेरले बा दुख के पहाड़, आईं रउरा जलदी से दिहीं ना उबार । बिगरल सुधार दिहीं दास का नसीब के ।। वीर हनुमान...।।
राम के संदेश लेके सिया ढ़िग गइनीं, राम कथा कह-कह दुख दूर कइनीं । पवनीं असीस रउरा सिया रघुवीर के ।। वीर हनुमान...।।
'भूषण' के फैसल बाटे भँवर में नइया, पार करीं रउरा बानी समरथ खेवइया । हमरा भरोसा एक रउरा अइसन वीर के ।। वीर हनुमान...।।