काहे करेलऽ मनमानी हो मन भजऽ सीताराम के ।
झूठे अभिमान में तू घूमेलऽ अनेरे, सरन में आवऽ तू जाग जा सबेरे । माटी के बा देहिया गुमान कवना काम के ।। काहे...।।
राम के भजन बिन जिनगी बेकार बा, करके विचार देखऽ भजने आधार बा । लेई लऽ आधार एक राम जी का नाम के ।। काहे...।।
एक-एक साँस बितऽताटे अनमोल, हर एक साँस से निकालऽ इहे बोल । एक दिन चल जइबऽ छोड़ धनधाम के ।। काहें...।।
'भूषण' भगवान के भरोसा हवे भारी, जइबऽ त राख लीहें अपना दुआरी । तबहीं से होई जइबऽ आदमी तू काम के ।। काहे...।।