मन तू सुमिरन करऽ हनुमत महावीर के । उ तऽ बदल देलन भगतन का तकदीर के ना ।।
हउवन शंकर के अवतार, उठवलन राम लखन के भार । बल के थाह ना बा इनका शरीर के ।। भगतन का...।।
करस ना बल के ई अभिमान, करेलन सदा राम गुणगान । अपना हिया में बसवलन रघुवीर के ।। भगतन का...।।
'भूषण' रामकथा नित गावऽ, कृपा अमृत इनकर पावऽ । इ त बदल दिहे विधना का लकीर के ।। भगतन का...।।