सीताराम-सीताराम सीताराम बोलऽ । हानि-लाभ सह, मत नीतिया से डोलऽ ।।
कबो होई लाभ कबो हो जाई हानि । मनवाँ में करीह ना तनिको ग्लानि ।। रोज-रोज अपना के तुला पर तोलऽ । सीताराम सीताराम सीताराम बोलऽ ।।
सीखऽ मन रहे के तू जग से उदास । मन में ना पालऽ कवनो केहू से तू आस ।। ममता के गाँठ अब धीरे-धीरे खोलऽ । सीताराम सीताराम सीताराम बोलऽ ।।
दुनिया के नारी में तू रूप देखऽ माई के । परधन बूझिह तू एक दाना राई के ।। अपना गलतियाँ पर 'भूषण' तनि रोलऽ । सीताराम सीताराम सीताराम बोलऽ ।।