देवी मइया शारदा से करीले निहोरा नित, हियरा में सरघा के सुमन खिलाई दऽ ।
चले के सहुर नइखे तनिको डगरिया, अंगुरी घराइ कर चले के सिखाई दऽ ।
जारि-खोरि क्षार क दऽ, मोर दुरबुधिया, नव-नव चेतना के दियरा जराई दऽ ।
'भूषण' के इहे चाह, भगति के दे दऽ राह, कविता करे के मइया लुरवा सिखाई दऽ ।