काहे हनुमान कइनीं एता देरिया । हम बेर-बेर लगाई राउर के टेरिया ।।
दुखिया के दुख दूर आके रउरा करीले । कालो के महाकाल केहू से ना डरीले ।।
फान के समुन्दर गइनीं सिया भीरिया । काहे हनुमान कइनीं एता देरिया ।।
साधु सुग्रीव के रखनीं बचाइके । दोस्ती कराई देनी राम के बोलाइके ।।
कछु ना बिगरले राउर बाली बरिया । काहे हनुमान कइनीं एता देरिया ।।
रखनीं विभीषण के लंकवा में जाइके । अक्षय के क्षय कइनी विटप चलाइके ।।
सोनवाँ के लंका देनीं जार खोरिया । काहे हनुमान कइनीं एता देरिया ।।
'भूषण' के भवजाल रउरे सुधारों । दोष दुख जिनगी के लंका लेखा जारी ।।
शरण में राख लीं बनाके चेरिया । काहे हनुमान कइनीं एता देरिया ।।