काहे करेलऽ मनमानी हो, मन सिया जी से कहऽ ।
उनके चरनिया में नेहिया लगावऽ, रामजी का कीरति के प्रेम से तू गावऽ । जवने विधि राखस सिया, तवने विधि रह ।। काहे करेल...।।
सिया महारानी कृपा करेली गरीब पर, घूमियो के ताकेली ना कपटी अमीर पर । मिलल बाटे दुख-सुख चुपचाप सहऽ ।। काहे करेल...।।
इनके चरनिया में सिद्धिया के बास बा, ओकरे के मानेली जे राम जी के दास बा । जवन कुछ कहे के बा, इनही से कहऽ ।। काहे करेल...।।
'भूषण' काहे भुलतारऽ माई के चरनिया, कलम से लिखऽ इनका किरपा के कहनियाँ । नाम का मथनियाँ से ममता के महऽ ।। काहे करेल...।।