चरण पर धके माथ, हम तऽ पूछिले नाथ, साँचो का बदल गइल दया के सुभउआ ।
अइसन बढ़ल पीड़, मनवा के छुटल धीर, बरिस ऽता अँखिया से सावन भदउआ ।
मन में भरल मल, हम का चढ़ाई जल, जटा से बहेला रउरा गंगा के धरउआ ।
'भूषण' के भारी पाप, शिवजी मिटाई आप, पीड़ हरिं अँखिया पर भइल बाटे घउआ ।