नामवाँ रतनवाँ के खान हो, मन तोहरा ना तनिको बुझाला ।
नामवे में ज्ञान बाटे नामवे भगति, नामवे में छिपल बा करम के सकति । नामवे में बाड़े किरपाला हो, मन तोहरा ना तनिको बुझाला ।।
दुइए अछरवा के बाटे राम नाम, जपेला संत लोग होके निष्काम । काट देला माया के जाला हो, मन तोहरा ना तनिका बुझाला ।।
नामे में ऋद्धि बा, नामे में सिद्धि, नामें में छिपल बा सकल प्रसिद्धि । नामे में सब रंग मसाला हो, मन तोहरा ना तनिका बुझाला ।।
नामी से नाम बड़ कहले बाबा तुलसी, नामे से भाव तोहरा हियरा में हुलसी । करे लगबऽ कविता रसाला हो, मन तोहरा ना तनिका बुझाला ।।
'भूषण' भरोस राखऽ जपऽ सीताराम, बिगड़ल सुधर जाई सब तोहर काम । बन जइबऽ संपतिवाला हो, मन तोहरा तनिको बुझाला ।।