सबकर कइलऽ सुधार हो, अंजनी के दुलरूआ । हमरा बेर गईलऽ काहे हार हो अंजनी के दुलरूआ ।।
डूबत सुग्रीव के तू हनुमत बचवलऽ, लाके श्री रामजी के दोस्ती कर ऽवलऽ । कान्ह पर उठवलऽ उनकर भार हो ।। अंजनी के दुलरूआ...।।
जोड़लऽ विभीषण से भाई के नाता, सिया जी से मिले के पवलऽ तू पाता । जाके अशोक वन छिप गइलऽ डार हो ।। अंजनी के दुलरुआ...।।
जरे से बचाई लेलऽ सिया सुकुमारी के, अंगूठी गिराई कहलऽ कथा धनुधारी के । सिया जी के लिहलऽ उबार हो । अंजनी के दुलरूआ... ।।
बुटिया ले आई रखलऽ लखन कुमार के, रहिया में मरलऽ कालनेमि के पछाड़ के । ले अइलऽ सजीवन बुटी, पर्वत उखाड़ हो ।। अंजनी के दुलरुआ...II
राम-विरह-सागर से भरत के उबरलऽ, एक-एक कर तू तऽ सबकर सुधरलऽ । 'भूषण' अधम के काहे दिहलऽ बिसार हो ।। अंजनी के दुलरुआ...।।