साधु संगत कइलऽ ना, समय भइल बर्बाद । जीवन-खेत में डलऽलऽ ना, राम भगति के खाद ।।
देखते-देखते बचपन बीतल, मस्त जवानी आइल । अपना धुन में मस्त रहलऽ, बात ना नीक सुनाइल ।। धर्मनीति से दूर तू रहलऽ, कइलऽ बहुत विवाद । साधु संगत कइलऽ ना, समय भइल बर्बाद ।।
धर्म छोड़के धन कमइलऽ, कइलऽ नाहीं विचार । दीन-दुखी के पूछऽलऽ ना तू कहियो समाचार ।। कइसे तोहर दुनिया रही बोलऽ बहुत आबाद । साधु संगत कइलऽ ना, समय भइल बर्बाद ।।
आइल बुढ़ापा तबहूँ ना, बात ठीक से बूझलऽ । पड़के दुनियादारी में, निमनो लोग से जूझलऽ ।। अब खटिया पर पड़के काहे, करेलऽ विषाद । साधु संगत कइलऽ ना, समय भइल बर्बाद ।।
जिनगी जवन बाँचल बाटे, सौंपऽ सीताराम के । 'भूषण' हरदम जपत रहऽ एही पावन नाम के ।। अबहूँ से शरणागत हो जा, हो जइब आबाद । साधु संगत कइलऽ ना, समय भइल बर्बाद ।।