रहेलऽ उदास काहे, अनकर आस काहे । स्वामी समरथ हनुमान मोर मनवाँ ।।
धइले रह उनकर गोर, राम नाम ना पड़े भोर । पूरा करीहें सब अरमान मोर मनवाँ ।।
करऽ नाहीं तनि शोक, जइबऽ साकेत लोक । जाये खातिर अबवऽ विमान मोर मनवाँ ।।
मन में भरोस राखऽ भगति के रस चाखऽ । कर नित राम गुनगान मोर मनवाँ ।।
'भूषण' होइबऽ धनऽ-धनऽ छोट मत करऽ मनऽ । भगति के पइबऽ रतन मोर मनवाँ ।।