चलऽ चलऽ चलऽ ना तऽ होखता अबेर । कुछ दिन रहेके बा बीत गइल ढ़ेर ।। चलऽ चल ऽ...।।
उजर भइल केश, दाँत टूट भहराइल । अंखिया के जोत जाता तोहरा ओराइल ।। रोज-रोज राम के लगावऽ खूब टेर । चलऽ चलऽ चलऽ ना तऽ होखता अबेर ।।
कमर भइल टेढ़, देखऽ गाल सुख पचकल । कहवाँ से कहाँ तहार, देह देखऽ खसकल ।। चारो ओर से काल लेलस तोहरा के घेर । चलऽ चलऽ चलऽ ना तऽ होखता अबेर ।
बूझेलऽ ना बात के तू, करेलऽ बहाना । देखते-देखत कहियो कटी परवाना ।। अस मोका पइबऽ ना 'भूषण' कबो फेर । चलऽ चलऽ चलऽ ना तऽ होखता अबेर ।