राम का सरनियाँ में सुखवा के धाम । हमरो मनवाँ हो, छन छन बोल सीताराम ।।
एक दिन छूट जइबऽ माया का जाल से । डर नाहीं रही तब कालो का काल से ।। बन जाई बिगड़ल सब काम । हमरो मनवाँ हो, हरदम बोलऽ सीताराम ।।
सीताराम नाम के बा महिमा अपार । संत सब कहले बाड़े कइके विचार ।। मानस में तुलसी के बाटे कहनाम । हमरो मनवा हो, छन छन बोलऽ सीताराम ।।
शिव सनकादि मुनि नारद जी जपले । जपि-जपि सब लोग भगति में खपले ।। पाई गइले अविचल सब धाम । हमरो मनवाँ हो हरदम बोलऽ सीताराम ।।
'भूषण' भरोस राखऽ अंजनि कुमार पर । उहे पहुँचाइ दिहें राम के दुआर पर ।। बनल रहऽ राम के गुलाम । हमरो मनवाँ हो हरदम बोलऽ सीताराम ।।