सीख ऽ-सीख ऽ-सीख ऽ मन दुख-सुख सहेके । जब ना सहाय तब रामजी से कहेके ।।
सुख जब आवेला त खूब दुःख जब आवेला त काहे अगरालऽ । अगुतालऽ ।I थिर होके सीख लऽ तू राम-राम कहेके । सीखऽ सीखऽ सीखऽ मन दुःख सुख सहेके ।।
मन कबो वीर के ना होला परेशान । मान-मर्यादा खातिर देवेला उ जान ।। लालच का धार में ना जानेला उ बहेके । सीखऽ सीखऽ सीखऽ मन दुःख-सुख सहेके ।।
मिल जाला माटी में जे लोभ में बिकाला । त्यागिए के गीत इतिहास में गवाला ।। रह जाला नाम ओकर दुनिया के कहेके । सीखऽ-सीख ऽ-सीखऽ मन दुःख-सुख सहेके ।।
आग में अभाव का तू सोना लेखा तपऽ । 'भूषण' सीताराम नाम सरधा से जपऽ ।। करऽ अभ्यास अब साधु लेखा रहेके । सीखऽ-सीखऽ-सीखऽ मन दुःख-सुख सहेके ।।