हम त अरज करीले हनुमत महावीर के । चरण-कमल में गिर के ना ।।
रउरा बाल ब्रह्मचारी, मननी माता सम परनारी । अपना हिया में बसवनीं रघुवीर के ।। चरण-कमल में...।।
बतिया जामवंत के मान, क्षण में गइनीं सिंधु फान । रउरा दूर कइनी सियाजी का पीड़ के ।। चरण कमल में...।।
रउरा बल के ना वा थाह, बनवनी सिंधु ऊपर राह । दिहनीं सिंहिका के मार रउरा चीर के ।। चरण-कमल में...।।
क्षण में फेंक दिहनी लंका, बजवनी विजय के रउरा डंका । रउरा छक्का छोड़वनी मेघनाथ बलवीर के ।। चरण-कमल में...।।
राख लीं 'भूषण' दीन के पत, होत बा बहुते अब दुरगत । आके बदल दिहीं हमरा तकदीर के चरण कमल में...।।